जगन्नाथ मंदिर का झंडा हवा के विपरीत दिशा में क्यों लहराता है?
                                सारांश
Key Takeaways
- जगन्नाथ मंदिर का झंडा हवा के विपरीत लहराता है।
 - झंडा बदलने की प्रक्रिया में दैवीय शक्ति का संकेत है।
 - हर दिन नया झंडा लगाना परंपरा है।
 - चोला परिवार इसे 800 वर्षों से निभा रहा है।
 - झंडा आस्था और विश्वास का प्रतीक है।
 
पुरी, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पुरी का जगन्नाथ मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और आस्था के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है, लेकिन इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य और परंपराएं भी हैं जो आपको चौंका देंगी। इनमें से एक है इस मंदिर का झंडा जो हवा की दिशा के विपरीत लहराता है। सामान्यत: झंडा हवा के साथ उड़ता है, लेकिन यहाँ ऐसा नहीं होता। यही बात इस मंदिर को रहस्यमय और अद्भुत बनाती है।
आज तक यह समझ नहीं आया है कि मंदिर का झंडा हवा के विपरीत दिशा में क्यों लहराता है। स्थानीय लोग इसे भगवान जगन्नाथ की दैवीय शक्ति का प्रतीक मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के ऊपर लहराता झंडा नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त करता है और पूरे वातावरण में सकारात्मकता फैलाता है।
इस झंडे को प्रतिदिन बदला जाता है, लेकिन यह कार्य कोई साधारण नहीं है, बल्कि भगवान के प्रति भक्ति और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। हर शाम, लगभग सूर्यास्त के समय, पुराना झंडा उतारकर नया त्रिकोणीय झंडा लगाया जाता है।
सर्दियों में यह कार्य लगभग 5 बजे और गर्मियों में 6 बजे के आसपास किया जाता है। अगर किसी दिन झंडा नहीं बदला गया, तो मंदिर 18 सालों तक बंद हो सकता है। इसलिए चाहे बारिश हो या तूफान, यह परंपरा एक दिन के लिए भी नहीं रुकती।
झंडा बदलने का यह कार्य एक विशेष परिवार, जिसे चुनरा सेवक या चोला परिवार कहा जाता है, के हाथों से ही होता है। इस परिवार के लोग लगभग पिछले 800 वर्षों से यह पवित्र जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि वे बिना किसी सुरक्षा उपकरण के 214 फुट ऊंचे मंदिर के शिखर पर चढ़ते हैं और वहां झंडा बदलते हैं। कहा जाता है कि आज तक इस परिवार के किसी भी सदस्य को इस काम के दौरान कोई चोट नहीं लगी।
पुराने झंडे को नकारात्मक ऊर्जा को सोखने वाला माना जाता है, इसलिए हर दिन नया झंडा लगाकर भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है। यह झंडा केवल एक कपड़ा नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है। जगन्नाथ मंदिर का यह रहस्य भले ही विज्ञान से परे हो, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए यह भगवान की शक्ति और कृपा का जीवंत प्रमाण है।