क्या डीएमके जनता को गुमराह कर रहा है एसआईआर के मुद्दे पर? : तमिलिसाई सौंदर्यराजन
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर का उद्देश्य वोटर डेटाबेस को सुधारना है।
- यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है।
- डीएमके ने इसे गलत तरीके से पेश किया है।
- यह रिवीजन १२ राज्यों में हो रहा है।
- चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर जोर दिया गया है।
चेन्नई, २ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। तेलंगाना-पुडुचेरी की पूर्व राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन ने रविवार को सत्तारूढ़ डीएमके पर चुनाव आयोग की मतदाता सूची की विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) प्रक्रिया को जानबूझकर गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि डीएमके राजनीतिक लाभ के लिए जनता को गुमराह कर रही है।
तमिलिसाई ने डीएमके नेताओं की ओर से एसआईआर प्रक्रिया की आलोचना का करारा जवाब देते हुए कहा, "डीएमके ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को 'स्पेशल इंटेंसिव रजिस्ट्रेशन' कहकर अपनी नासमझी दिखाई है। जब डिप्टी चीफ मिनिस्टर खुद यह सही से नहीं बता सकते कि एसआईआर का मतलब क्या है तो इससे पता चलता है कि उन्हें इसकी ज्यादा समझ नहीं है। वे सिर्फ राजनीतिक कारणों से इसका विरोध कर रहे हैं।"
एसआईआर के मकसद को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि इलेक्शन कमीशन का यह काम एक साफ और सही वोटर डेटाबेस पक्का करने के लिए है।
उन्होंने कहा कि एसआईआर का उद्देश्य १८ साल के हो चुके नए वोटर्स को शामिल करना, मृतक व्यक्तियों के नाम हटाना और डुप्लीकेट या नकली एंट्री को समाप्त करना है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है, जिसमें नागरिकों को वेरिफाई करने और आपत्तियां उठाने का मौका मिलता है।
चुनाव आयोग के शेड्यूल के अनुसार, घर-घर जाकर वेरिफिकेशन ड्राइव ४ नवंबर से ४ दिसंबर तक चलेगी, जिसके बाद ९ दिसंबर से ८ जनवरी २०२६ तक ऑब्जेक्शन और करेक्शन का समय होगा।
शिकायतों की जांच ३१ जनवरी तक की जाएगी और फाइनल वोटर लिस्ट ७ फरवरी, २०२६ को प्रकाशित की जाएगी।
तमिलिसाई ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह रिवीजन १२ राज्यों में एक साथ किया जा रहा है, जिसमें भाजपा शासित कई राज्य भी शामिल हैं।
उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि यदि यही प्रक्रिया पूरे देश में हो रही है, तो इसे तमिलनाडु या डीएमके के खिलाफ कदम कैसे कहा जा सकता है? डीएमके पर डर फैलाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी का विरोध असुरक्षा की वजह से हो रहा है।
तमिलिसाई ने आरोप लगाया कि डीएमके यह सफाई प्रक्रिया नहीं चाहती क्योंकि वे गड़बड़ियों से ही लाभ उठाते हैं। उन्हें डर है कि उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने जो फर्जी वोटर जोड़े थे, वे इस गहन रिवीजन से हटा दिए जाएंगे।