क्या उर्वरकों और कृषि उत्पादों पर जीएसटी में कटौती से खेती की लागत कम हुई?
सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी में कमी से किसानों की लागत में कमी आएगी।
- उर्वरकों पर टैक्स में कटौती से पोषक तत्वों की उपलब्धता में सुधार होगा।
- आधुनिक कृषि उपकरण अधिक किफायती होंगे।
- किसानों को नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने में मदद मिलेगी।
- कृषि क्षेत्र में विकास को बढ़ावा मिलेगा।
नई दिल्ली, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सूक्ष्म-पोषक उर्वरकों पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से छोटे और सीमांत किसानों की खेती की लागत में स्पष्ट कमी आएगी। यह जानकारी केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा द्वारा साझा की गई।
सरकार द्वारा 22 सितंबर को लागू किए गए जीएसटी सुधारों में उर्वरकों और कई कृषि उत्पादों पर टैक्स में कटौती की गई है।
नड्डा ने कहा कि कम इनपुट लागत से किसानों को सूक्ष्म पोषक तत्वों का उपयोग करने में सहायता मिली है।
उन्होंने बताया, "भारतीय सूक्ष्म उर्वरक निर्माता संघ के अनुसार, जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से धान में 140 रुपए प्रति एकड़, गन्ने में 199 रुपए प्रति एकड़, आलू में 446 रुपये प्रति एकड़ और गेहूं में 146 रुपए प्रति एकड़ की बचत होगी।"
नड्डा ने यह भी कहा कि उर्वरक निर्माण के लिए अमोनिया और सल्फ्यूरिक एसिड जैसे महत्वपूर्ण कच्चे माल पर जीएसटी दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से कार्यशील पूंजी की आवश्यकता कम हुई है, इनपुट टैक्स क्रेडिट का संचय भी कम हुआ है और निर्माताओं के लिए नकदी प्रवाह में सुधार हुआ है, जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को मिट्टी के पोषक तत्वों की उपलब्धता में सहायता मिलेगी।
जैव-कीटनाशकों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से इनपुट लागत में कमी आएगी और एकीकृत कीट प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने में तेजी आएगी।
मैकेनिकल स्प्रेयर, स्प्रिंकलर, ड्रिप सिंचाई प्रणाली और नोजल पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से आधुनिक कृषि प्रथाओं को समर्थन मिलने की उम्मीद है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "इस सुधार से पौध संरक्षण और सिंचाई उपकरण अधिक किफायती हो जाएंगे, जिससे किसानों को वैज्ञानिक छिड़काव पद्धतियों और कुशल कीटनाशक अनुप्रयोग प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।"