क्या म्यूचुअल फंड्स का इक्विटी निवेश नवंबर में दोगुना होकर 43,465 करोड़ रुपए हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- इक्विटी निवेश में बढ़ोत्तरी का मुख्य कारण सकारात्मक बाजार प्रदर्शन है।
- म्यूचुअल फंड्स ने 43,465 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
- निवेशकों का सेंटीमेंट मजबूत बना हुआ है।
- डेट फंडों से 72,201 करोड़ रुपए की निकासी हुई है।
- एसआईपी का प्रवाह 29,529 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।
मुंबई, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। म्यूचुअल फंड इक्विटी निवेश में नवंबर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इसका मुख्य कारण बाजार का सकारात्मक प्रदर्शन और निवेशकों का मजबूत सेंटीमेंट है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने म्यूचुअल फंड्स ने इक्विटी बाजार में 43,465 करोड़ रुपए का निवेश किया, जो अक्टूबर में दर्ज किए गए 20,718 करोड़ रुपए से लगभग दोगुना है।
सेबी के डेटा के अनुसार, म्यूचुअल फंड्स ने पूरे महीने शेयर बाजार में लगातार इक्विटी में निवेश किया। केवल दो दिनों में निकासी की गई, जिसमें 2,473 करोड़ रुपए की बिक्री शामिल है।
म्यूचुअल फंड्स द्वारा मजबूत और स्थिर खरीदारी ने समग्र बाजार के सेंटीमेंट को बेहतर बनाने में योगदान दिया और बेंचमार्क सूचकांकों में तेजी लाई।
हालांकि शेयरों में निवेश में बढ़ोतरी हो रही है, म्यूचुअल फंड डेट सेगमेंट में भारी बिकवाली जारी है।
नवंबर में डेट फंडों से शुद्ध निकासी बढ़कर 72,201 करोड़ रुपए हो गई, जबकि अक्टूबर में यह 12,771 करोड़ रुपए थी।
घरेलू निवेश में यह तेज बढ़ोतरी तब हो रही है, जब सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से निवेश करने का चलन बढ़ रहा है।
अक्टूबर में एसआईपी इनफ्लो अपने ऑल-टाइम हाई 29,529 करोड़ रुपए पर था, जो कि सितंबर में 29,361 करोड़ रुपए था।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का निरंतर प्रवाह, विशेष रूप से एसआईपी में, बाजार अस्थिरता के बावजूद अनुशासित निवेशक व्यवहार को दर्शाता है।
उनका कहना है कि इस तरह के निरंतर योगदान ने म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों का विस्तार करने और इक्विटी बाजारों को मजबूती प्रदान करने में मदद की है।
विशेषज्ञों ने आगे कहा कि इक्विटी में विश्वास मजबूत बना हुआ है, लेकिन वैश्विक माहौल की अनिश्चितता के कारण कुछ निवेशक धीरे-धीरे डेट-केंद्रित योजनाओं और सोने की ओर रुख कर रहे हैं।
यह रुझान एक परिपक्व निवेशक आधार की ओर इशारा करता है जो दीर्घकालिक वैल्थ-क्रिएशन रणनीतियों को जोखिम प्रबंधन के साथ संतुलित करता है, जबकि म्यूचुअल फंड इक्विटी बाजार की तेजी को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहते हैं।