क्या भारतीय कंपनियों का सीएसआर खर्च वित्त वर्ष 22 से 24 के बीच 29 प्रतिशत बढ़ा?

Click to start listening
क्या भारतीय कंपनियों का सीएसआर खर्च वित्त वर्ष 22 से 24 के बीच 29 प्रतिशत बढ़ा?

सारांश

भारतीय कंपनियों के सीएसआर खर्च में वित्त वर्ष 22 से 24 के बीच 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह रिपोर्ट कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाती है। क्या यह विकास भारत के सामाजिक और जलवायु लक्ष्यों में सकारात्मक योगदान देगा? जानिए इस विस्तृत रिपोर्ट में।

Key Takeaways

  • सीएसआर खर्च में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • महाराष्ट्र और गुजरात सबसे अधिक फंड प्राप्त करने वाले राज्य हैं।
  • 100 में से 16 कंपनियों ने अपने सीएसआर खर्च में वृद्धि की।
  • सीएसआर खर्च में आकांक्षी जिलों का ध्यान रखना आवश्यक है।

नई दिल्ली, 29 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय कंपनियों के वार्षिक कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) खर्च में वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 24 के बीच 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह जानकारी मंगलवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।

आईसीआरए ईएसजी रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके सैंपल सेट में मौजूद कंपनियों ने संयुक्त रूप से मार्च 2024 तक 12,897 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। औसत सीएसआर खर्च प्रति कंपनी 129 करोड़ रुपए रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 24 के बीच औसत शुद्ध मुनाफे में 37 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जबकि सीएसआर खर्च में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इसी अवधि के दौरान मुनाफे में गिरावट के बावजूद, 100 में से 16 कंपनियों ने अपने सीएसआर खर्च में वृद्धि की, जो अनुपालन से परे सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वहीं, 48 प्रतिशत कंपनियों ने मुनाफे में गिरावट के बावजूद अनिवार्य सीएसआर बजट को पार कर लिया है।

आईसीआरए ईएसजी रेटिंग्स की मुख्य रेटिंग अधिकारी शीतल शरद ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ बढ़ता तालमेल और सक्रिय सीएसआर खर्च समावेशी विकास के प्रति एक परिपक्व दृष्टिकोण को दर्शाता है। ये प्रयास न केवल पक्षकारों के मूल्य को बढ़ा रहे हैं, बल्कि भारत के व्यापक जलवायु और सामाजिक लक्ष्यों में भी सार्थक योगदान दे रहे हैं।"

रिपोर्ट में बताया गया कि महाराष्ट्र और गुजरात को कॉर्पोरेट्स द्वारा सबसे अधिक सीएसआर फंड्स के आवंटन प्राप्त हुआ, जबकि ओडिशा में सीएसआर खर्च में 85 प्रतिशत की अधिक वृद्धि दर्ज की गई, इसके बाद आंध्र प्रदेश में सीएसआर व्यय में 70 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो उच्च विकास आवश्यकताओं वाले अविकसित क्षेत्रों पर कॉर्पोरेट फोकस में वृद्धि को दर्शाता है।

सीएसआर पर सबसे अधिक खर्च तेल और गैस रिफाइनरी, निजी क्षेत्र के बैंक, लोहा और इस्पात और सॉफ्टवेयर कंपनियों की ओर से किया गया।

रिपोर्ट में बताया गया कि आकांक्षी जिलों में सीएसआर खर्च वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2023 तक 115 प्रतिशत बढ़ा।

हालांकि, कुछ कंपनियों ने अपने सीएसआर बजट का आधा हिस्सा आकांक्षी जिलों के लिए निर्देशित किया है, लेकिन अधिकांश कंपनियों ने 5 प्रतिशत से भी कम आवंटन जारी रखा है, जो आकांक्षी जिलों में अधिक रणनीतिक फोकस और संसाधन आवंटन की आवश्यकता को दर्शाता है।

Point of View

यह रिपोर्ट हमें यह बताती है कि भारतीय कंपनियों का सीएसआर खर्च एक सकारात्मक दिशा में बढ़ रहा है। इससे न केवल कंपनियों की सामाजिक जिम्मेदारी का एहसास होता है, बल्कि यह भारत के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह समय है कि हम इस दिशा में और अधिक प्रयास करें।
NationPress
30/07/2025

Frequently Asked Questions

सीएसआर क्या है?
सीएसआर, यानी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी, कंपनियों की सामाजिक जिम्मेदारियों को दर्शाता है।
सीएसआर खर्च में वृद्धि का क्या कारण है?
सीएसआर खर्च में वृद्धि का मुख्य कारण कंपनियों की सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता है।
कौन सी कंपनियाँ सबसे अधिक सीएसआर खर्च कर रही हैं?
तेल और गैस रिफाइनरी, निजी क्षेत्र के बैंक, लोहा और इस्पात और सॉफ्टवेयर कंपनियाँ सबसे अधिक सीएसआर खर्च कर रही हैं।
क्या सीएसआर खर्च का प्रभाव सामाजिक लक्ष्यों पर पड़ता है?
हाँ, सीएसआर खर्च का प्रभाव सामाजिक लक्ष्यों पर सकारात्मक रूप से पड़ता है।