क्या कमजोर वैश्विक संकेतों के कारण भारतीय शेयर बाजार में गिरावट आई?
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय शेयर बाजार ने गिरावट के साथ शुरुआत की।
- सेंसेक्स में 309 अंक की कमी आई।
- मिडकैप और स्मॉलकैप में मजबूती देखी गई।
- बाजार का ध्यान बिहार चुनावों पर है।
- कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं।
मुंबई, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कमजोर वैश्विक संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार ने शुक्रवार के कारोबारी सत्र में गिरावट के साथ शुरुआत की। सुबह 9:20 बजे सेंसेक्स में 309 अंक या 0.37 प्रतिशत की कमी आई, जो 84,182 पर था, वहीं निफ्टी 91 अंक या 0.35 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,787 पर पहुंच गया।
लार्जकैप की तुलना में मिडकैप और स्मॉलकैप में मजबूती देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 147 अंक या 0.24 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 60,839 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 28 अंक या 0.16 प्रतिशत बढ़कर 18,212 पर था।
सेक्टोरल स्तर पर पीएसयू बैंक, फार्मा, मीडिया, एनर्जी, पीएसई और हेल्थकेयर हरे निशान में थे, जबकि ऑटो, आईटी, मेटल, एफएमसीजी, रियल्टी और इन्फ्रा लाल निशान में रहे।
सेंसेक्स पैक में बीईएल, इटरनल (जोमैटो), बजाज फाइनेंस, सन फार्मा, एक्सिस बैंक, ट्रेंट, एसबीआई, अदाणी पोर्ट्स, एशियन पेंट्स और एनटीपीसी प्रमुख लाभार्थी रहे। दूसरी ओर, इन्फोसिस, टाटा स्टील, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक, टीसीएस, आईसीआईसीआई बैंक, मारुति सुजुकी, एचडीएफसी बैंक और एलएंडटी प्रमुख हानिकारक बने।
बाजार विशेषज्ञों ने कहा कि आज का फोकस बिहार के चुनावों के परिणामों पर रहेगा, हालांकि इसका प्रभाव सीमित होगा। मध्यम से लंबी अवधि में बाजार की दिशा जीडीपी की स्थिति और कंपनियों की आय पर निर्भर करेगी।
अधिकांश एशियाई बाजार लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं। टोक्यो, शंघाई, बैंकॉक, हांगकांग और सोल लाल निशान में थे, जबकि जकार्ता हरे निशान में रहा। अमेरिकी बाजार गुरुवार को लाल निशान में बंद हुए थे।
संस्थागत मोर्चे पर, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 13 नवंबर को 383 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 3,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की इक्विटी खरीदी, जिससे व्यापक बाजार की कमजोरी को कम करने में मदद मिली।
इसके अतिरिक्त, कच्चे तेल में तेजी देखी जा रही है। खबर लिखे जाने तक, ब्रेंट क्रूड 1.48 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 63.94 डॉलर प्रति बैरल और डब्लूटीआई क्रूड 1.60 प्रतिशत की बढ़त के साथ 59.63 डॉलर प्रति बैरल पर था।