क्या उद्योग समागम 2025 भारत के औद्योगिक इकोसिस्टम को मजबूती देगा?
सारांश
Key Takeaways
- कोऑपरेटिव फेडरलिज्म पर जोर दिया गया।
- इनोवेटिव डेवलपमेंट मॉडल पर चर्चा हुई।
- उत्तराखंड को टॉप अचीवर्स पुरस्कार मिला।
- रोजगार सृजन और सस्टेनेबिलिटी पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- केंद्र सरकार के कदमों से स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार हो रहा है।
नई दिल्ली, ११ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को विभिन्न राज्यों के उद्योग और वाणिज्य मंत्रियों तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की उपस्थिति में उद्योग समागम 2025 की अध्यक्षता करने की जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया, "उद्योग समागम 2025 की यह चर्चा कोऑपरेटिव फेडरलिज्म पर केंद्रित थी। इसके अतिरिक्त, चर्चा इनोवेटिव डेवलपमेंट मॉडल, कानूनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, ट्रांसफॉर्मेटिव जन विश्वास एक्ट और ईज-ऑफ डूइंग बिजनेस के माध्यम से भारत के औद्योगिक इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए सामूहिक प्रयास पर केंद्रित रही।"
उन्होंने आगे कहा कि क्वालिटी को लेकर आश्वासन, सस्टेनेबिलिटी और रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस कार्यक्रम ने भारत की पूरी औद्योगिक क्षमता को प्रदर्शित करने और एक आत्मनिर्भर विकसित भारत बनाने के संकल्प को साकार करने का आश्वासन दिया।
इस कार्यक्रम के संदर्भ में उत्तराखण्ड के इंफोर्मेशन एंड पब्लिक रिलेशंस डिपार्टमेंट ने एक्स हैंडल पर जानकारी साझा की कि राज्य को व्यापार सुधार कार्य योजना (बीआरएपी) 2024 के अंतर्गत पांच प्रमुख सुधार श्रेणियों में ‘टॉप अचीवर्स’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उत्तराखण्ड के डिपार्टमेंट ने कहा, "नई दिल्ली में आयोजित उद्योग समागम 2025 में बीआरएपी 2024 के अंतर्गत उत्तराखण्ड के उत्कृष्ट प्रदर्शन की मान्यता देते हुए इस पुरस्कार की घोषणा की गई।"
उत्तराखण्ड डीआईपीआर ने यह भी बताया कि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उत्तराखण्ड सरकार के उद्योग सचिव विनय शंकर पांडेय और महानिदेशक एवं आयुक्त (उद्योग) डॉ. सौरभ गहरवार को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया। इस अवसर पर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद भी उपस्थित थे।
इससे पहले, केंद्रीय मंत्री गोयल २२वें सीआईआई एनुअल हेल्थ समिट का हिस्सा बने। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा उठाए गए कई महत्वपूर्ण कदमों से भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को कई लाभ मिल रहे हैं, जैसे कि हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी को १८ प्रतिशत से शून्य करने और मेडिकल डिवाइस, कैंसर देखभाल दवाओं तथा अन्य आवश्यक दवाओं पर शुल्क में कटौती।