क्या हकलाने या तुतलाने पर शर्म करनी चाहिए? इन आयुर्वेदिक नुस्खों से जानें उपाय
सारांश
Key Takeaways
- ब्राह्मी मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ाती है।
- अश्वगंधा नसों की कमजोरी को कम करता है।
- वाचा बोलने की स्पष्टता को बढ़ाता है।
- गायत्री मंत्र का जाप मानसिक स्थिरता के लिए फायदेमंद है।
- नींद पूरी लेना वाणी में सहजता लाता है।
नई दिल्ली, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हकलाना या तुतलाना वाणी से संबंधित एक गंभीर समस्या है, जिसे आयुर्वेद में वाक विकार के नाम से जाना जाता है। यह केवल जीभ की कमजोरी के कारण नहीं होता, बल्कि इसके पीछे वात दोष का असंतुलन, नसों की कमजोरी और मानसिक डर-तनाव भी महत्वपूर्ण कारक होते हैं। इसके मूल में अक्सर बचपन के अनुभव, अत्यधिक चिंता और अनुवांशिक कारण शामिल होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, इसे संतुलित करने के लिए मानसिक स्थिरता, नसों की मजबूती और वायु दोष का नियंत्रण आवश्यक है। इसके लिए कुछ प्रभावी आयुर्वेदिक औषधियां और घरेलू उपाय उपलब्ध हैं। ब्राह्मी मस्तिष्क और वाणी की नसों को मजबूत करती है और आत्मविश्वास बढ़ाती है। इसे सुबह-शाम दूध के साथ लेना फायदेमंद होता है। वाचा बोलने की स्पष्टता बढ़ाने में सहायक है, जबकि शंखपुष्पी तनाव और डर को कम करती है।
सारस्वतारिष्ट मानसिक तनाव और झिझक को दूर करने में मदद करता है। अश्वगंधा नसों की कमजोरी और घबराहट को कम करती है। इसके अतिरिक्त, तेजपत्ता वात-कफ संतुलन में सहायक है और गले तथा जीभ को शुद्ध करता है। इसे चूर्ण, हल्का काढ़ा या भाप के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
दिनचर्या और अभ्यास भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। गायत्री मंत्र और ऊं जप रोज 15 मिनट करना, शंख ध्वनि अभ्यास, तेल का गरारा और कठिन अक्षरों का धीरे-धीरे अभ्यास वाणी को मजबूत बनाते हैं। ठंडी चीजों से बचना और गले पर हल्का घी या तिल तेल से मसाज करना भी लाभकारी है। नींद पूरी लेना, मानसिक थकान को कम करना और गर्म दूध, घी, बादाम, मूंग दाल, आंवला जैसी चीजें खाने से वाणी में सहजता आती है।
आयुर्वेद के अनुसार, जब वात दोष संतुलित होता है, मानसिक भय शांत होता है और नसें मजबूत होती हैं, तो वाणी स्वतः स्पष्ट हो जाती है।
हकलाना या तुतलाना एक शर्म की बात नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि वायु असंतुलित है। सही आहार, योग, मानसिक अभ्यास और आयुर्वेदिक औषधियों के संतुलन से वाणी में सहजता और स्पष्टता प्राप्त की जा सकती है।
हालांकि, कोई भी आयुर्वेदिक औषधि लेने से पहले आयुर्वेदाचार्य की सलाह अवश्य लें।