क्या हफ्ते में दो बार होगा 'नालम कक्कुम स्टालिन' स्वास्थ्य शिविर, गरीब लोगों को मिलेगा लाभ?
सारांश
Key Takeaways
- स्वास्थ्य शिविर अब हफ्ते में दो बार होंगे।
- गुरुवार और शनिवार को शिविर आयोजित किए जाएंगे।
- कैंसर और टीबी जैसी बीमारियों का निदान किया जाएगा।
- राज्य में कुल 1,256 शिविर लगाए जाने हैं।
- 10 लाख से अधिक लोग अब तक लाभ उठा चुके हैं।
चेन्नई, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु में ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए चलाया जा रहा स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम 'नालम कक्कुम स्टालिन' अब हफ्ते में एक बार नहीं, बल्कि दो बार आयोजित किया जाएगा।
यह घोषणा तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमण्यम ने की है। यह निर्णय निर्धारित समय में अधिक से अधिक लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने और शिविरों की संख्या को पूरा करने के लक्ष्य से लिया गया है।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में, मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की अध्यक्षता में योजना को तेजी से लागू करने का यह निर्णय लिया गया है, जिससे अधिक लोगों को लाभ मिले। अब स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम के तहत हफ्ते में दो बार शिविर आयोजित किए जाएंगे, और यदि आवश्यक हुआ, तो शिविरों की संख्या बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जाएगा। ये शिविर राज्य के सभी राजस्व जिलों में गुरुवार और शनिवार को आयोजित होंगे।
ध्यान रहे कि 'नालम कक्कुम स्टालिन' योजना तमिलनाडु सरकार का स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है, जिसके तहत समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य जांच और बीमारी के शीघ्र निदान की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कैंसर और टीबी जैसी बीमारियों के प्रसार को रोकना है। कैंसर और टीबी के निदान के लिए शिविर जांच और इलाज दोनों की सुविधा प्रदान करते हैं।
स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम 'नालम कक्कुम स्टालिन' के तहत आयोजित शिविरों के बारे में बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कांचीपुरम जिले में आयोजित शिविरों के माध्यम से छह नए कैंसर के मामलों का पता चला है, जिनमें स्तन कैंसर के दो और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के चार मामले शामिल हैं। नए मामलों के उजागर होने के बाद मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है और इसके साथ ही कई टीबी के मरीजों का भी पता चला है।
राज्य में कुल 1,256 शिविर लगाए जाने हैं और अब तक पिछले 18 हफ्तों में 678 शिविर आयोजित किए जा चुके हैं। इन 678 शिविरों में 10 लाख से अधिक लोग चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठा चुके हैं और बाकी शिविर भी जल्द ही लगाए जाएंगे।
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे बताया कि शिविरों में जीवनशैली से संबंधित बीमारियों जैसे बीपी, मानसिक स्वास्थ्य और डायबिटीज से ग्रस्त लोगों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। शिविरों में सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े समूहों के लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है।