क्या इन गलतियों के कारण ग्रीन टी आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है?
सारांश
Key Takeaways
- गर्मी से बचें: ग्रीन टी को बहुत गर्म न पिएं।
- खाली पेट न पिएं: हमेशा कुछ खाकर ही ग्रीन टी लें।
- चीनी और दूध से बचें: बिना मिलावट की ग्रीन टी ही फायदेमंद है।
- अति सेवन से बचें: दिन में 2-3 कप ही पिएं।
- स्वास्थ्य पर ध्यान दें: ग्रीन टी का सेवन सही तरीके से करें।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। स्वास्थ्य के लिए ग्रीन टी को एक प्रभावशाली टॉनिक माना जाता है। आयुर्वेद में इसे पाचन सुधारने, मन को शांत रखने और शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालने वाला पेय बताया गया है।
विज्ञान भी इस बात की पुष्टि करता है कि ग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन नाम के एंटीऑक्सीडेंट शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। यही कारण है कि लोग ग्रीन टी को अपनी दैनिक रूटीन में शामिल कर रहे हैं, लेकिन कभी-कभी एक छोटी-सी गलती इस अद्भुत पेय के फायदों को कम कर देती है। कई बार लोग इसे ऐसे तरीके से पीते हैं, जिससे लाभ के बजाय नुकसान होने लगता है। इसलिए ग्रीन टी का सही तरीका जानना बेहद महत्वपूर्ण है।
कई लोग गलती करते हैं कि बहुत गर्म ग्रीन टी पीते हैं। आयुर्वेद कहता है कि अत्यधिक गर्म पेय अम्ल पित्त को बढ़ाते हैं, जो पेट में तीव्र जलन और भारीपन का कारण बन सकते हैं। विज्ञान भी मानता है कि बहुत गर्म तरल गले की परत को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे सूजन या खराश जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जब ग्रीन टी बहुत गर्म होती है, तो उसके एंटीऑक्सीडेंट का लाभ भी नहीं मिल पाता। इसलिए ग्रीन टी को थोड़ा ठंडा करके पीना बेहतर होता है ताकि उसका स्वाद भी उभरकर आए और पेट भी शांत रहे।
खाली पेट ग्रीन टी पीना भी एक बड़ी गलती है। आयुर्वेद के अनुसार, खाली पेट कसैला पेय नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह वात और पित्त दोनों को असंतुलित कर सकता है। विज्ञान के अनुसार, ग्रीन टी में मौजूद कैफीन पेट में एसिड का स्तर बढ़ा सकती है, जिससे गैस या हल्की ऐंठन हो सकती है। जब पेट में भोजन नहीं हो, तो यह एसिड सीधे पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। इसलिए हमेशा हल्का नाश्ता या कुछ बिस्कुट खाकर ही ग्रीन टी का सेवन करना बेहतर है ताकि पेट संतुलित रहे।
कुछ लोग स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें चीनी या दूध मिला देते हैं, लेकिन यह भी स्वास्थ्य के लिए सही नहीं माना जाता। आयुर्वेद में कहा गया है कि ग्रीन टी की तासीर हल्की और शीतल होती है, जबकि चीनी भारी और गरम करने वाली होती है। दोनों का मेल पाचन को धीमा कर देता है। दूसरी तरफ, दूध मिलाने से चाय के एंटीऑक्सीडेंट प्रोटीन के साथ बंध जाते हैं, जिससे शरीर उन्हें पूरी तरह अवशोषित नहीं कर पाता। बिना किसी मिलावट के बनी ग्रीन टी ही शरीर को पूरी तरह लाभ पहुंचाती है।
लोगों में यह धारणा है कि दिन में कई कप ग्रीन टी पीने से वजन जल्दी घटेगा या शरीर अत्यधिक डिटॉक्स हो जाएगा। यह पूरी तरह गलत है। आयुर्वेद में किसी भी चीज का अति सेवन दोष वृद्धि का कारण माना गया है। वहीं वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि अधिक कैफीन शरीर में बेचैनी, दस्त या पेट दर्द पैदा कर सकता है। बहुत ज्यादा ग्रीन टी लेने से आयरन अवशोषित करने की क्षमता भी कम हो सकती है, जिससे कमजोरी महसूस हो सकती है। इसलिए दिन में दो या तीन कप ही पर्याप्त हैं ताकि शरीर संतुलित तरीके से फायदे ले सके।