क्या ताड़ासन पूरे शरीर के लिए लाभकारी है?

सारांश
Key Takeaways
- ताड़ासन से शारीरिक स्थिरता बढ़ती है।
- यह मानसिक ताकत को बढ़ाता है।
- बदन की लचकता में सुधार करता है।
- रक्त संचार को बेहतर बनाता है।
- अभ्यास से आत्मविश्वास बढ़ता है।
नई दिल्ली, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। योग की दुनिया में ताड़ासन, जिसे ‘ताड़ के पेड़ की मुद्रा’ या ‘पर्वत मुद्रा’ के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख खड़े आसन है। यह आसन न केवल शारीरिक स्थिरता और संतुलन को बढ़ावा देता है, बल्कि मानसिक ताकत को भी बढ़ावा देता है।
ताड़ का अर्थ है ताड़ का पेड़ या पर्वत, जो इस आसन की दृढ़ता और स्थिरता को प्रदर्शित करता है। यह सभी खड़े आसनों का आधार माना जाता है और योग साधना में बेहद महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह एक सरल और अत्यधिक फायदेमंद योगासन है, जिसे करने से हाइट भी बढ़ सकती है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, ताड़ासन करने से एक-दो नहीं, बल्कि कई फायदे प्राप्त होते हैं। इसे करने के लिए सबसे पहले पैरों को 2 इंच की दूरी पर रखकर सीधे खड़े होना चाहिए। उंगलियों को आपस में फंसा लें और कलाई को बाहर की ओर मोड़ें। जब सांस लें, तो बाजुओं को सिर के ऊपर कंधों की सीध में उठाएं। इसके बाद, एड़ियों को जमीन से ऊपर उठाकर पंजों पर संतुलन बनाएं। इस मुद्रा में 10-15 सेकंड तक रहना चाहिए।
ताड़ासन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। यह रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और शरीर की मुद्रा (पोश्चर) को बेहतर बनाता है। यह मांसपेशियों को खींचता है, जिससे लचीलापन बढ़ता है। यही नहीं, ताड़ासन रक्त संचार में सुधार करता है, पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है, और तनाव को भी कम करने में मदद करता है। यह आत्मविश्वास और मानसिक एकाग्रता को बढ़ाने में भी सहायक है। ताड़ासन का नियमित अभ्यास पैरों, पीठ, और कंधों की मांसपेशियों को मजबूत करता है, जिससे चोट का खतरा कम होता है।
ताड़ासन एक सरल लेकिन प्रभावशाली योग मुद्रा है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है। इसके नियमित अभ्यास से अनेक लाभ मिलते हैं। हालांकि, इसे करते समय कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए। लो बीपी या चक्कर आने की समस्या वाले व्यक्तियों को पंजों पर संतुलन बनाते समय सावधानी बरतनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को यह आसन किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में करना चाहिए। अधिक समय तक मुद्रा में न रहें, क्योंकि इससे पैरों पर अनावश्यक दबाव पड़ सकता है। हमेशा शरीर की क्षमता के अनुसार अभ्यास करना चाहिए।