क्या ठंड में निमोनिया का खतरा बढ़ता है? ये योगासन और प्राणायाम बनाएंगे आपके फेफड़ों को मजबूत
सारांश
Key Takeaways
- निमोनिया के कारणों और लक्षणों को समझें।
- योगासन के माध्यम से फेफड़ों को मजबूत करें।
- प्राणायाम से श्वसन तंत्र को स्वस्थ रखें।
- फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए नियमित अभ्यास करें।
- खुद को और अपने परिवार को निमोनिया से बचाने के उपाय जानें।
नई दिल्ली, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। यह दिन लोगों को फेफड़ों की सुरक्षा और गंभीर श्वसन रोगों के प्रति जागरूक करने के लिए समर्पित है। निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जो फेफड़ों में संक्रमण उत्पन्न करती है और इसका कारण बैक्टीरिया, वायरस या कभी-कभी फंगस भी हो सकता है। इससे मरीज को तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में कठिनाई और सीने में दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
निमोनिया के दौरान और इसके बाद फेफड़ों की शक्ति कमज़ोर हो जाती है। ऐसे समय में शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना अत्यंत आवश्यक है। इसी संदर्भ में योग और प्राणायाम न केवल शरीर को आराम देते हैं, बल्कि फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाकर संक्रमण से लड़ने की क्षमता को भी मजबूत करते हैं।
भुजंगासन: यह आसन फेफड़ों में ऑक्सीजन की पहुंच को बेहतर बनाता है। निमोनिया से उबरते समय अक्सर मरीज को सांस लेने में कठिनाई होती है। भुजंगासन इस समस्या को कम करता है और फेफड़ों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, जिससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है। इसका नियमित अभ्यास रिकवरी प्रक्रिया को तेज करता है।
मत्स्यासन: यह आसन फेफड़ों में रक्त संचार को बढ़ाने में सहायक है। फेफड़ों की मांसपेशियों को पर्याप्त पोषण मिलने से उनकी ताकत बढ़ती है। इस आसन से निमोनिया के बाद फेफड़ों की रिकवरी तेज होती है और सांस लेने की प्रक्रिया में सुधार होता है।
अनुलोम-विलोम: यह प्राणायाम फेफड़ों के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह सांस की नलियों को साफ रखता है और फेफड़ों की क्षमता को बनाए रखता है। जब व्यक्ति निमोनिया से उबर रहा होता है, तो श्वसन तंत्र अक्सर कमजोर होता है। इस प्राणायाम से धीरे-धीरे फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है, जिससे सांस लेना आसान हो जाता है और शरीर जल्दी ऊर्जा महसूस करता है।
कपालभाति: यह प्राणायाम शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह केवल फेफड़ों की सफाई नहीं करता, बल्कि उन्हें मजबूत भी बनाता है। निमोनिया के बाद फेफड़ों में अक्सर कफ और नमी जमा रहती है। कपालभाति प्राणायाम इन समस्याओं को कम करता है और श्वसन प्रणाली को सक्रिय बनाकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।