क्या चीन ने जापान के सामने गंभीरता से मामला उठाया?
सारांश
Key Takeaways
- थाईवान मुद्दा चीन के लिए महत्वपूर्ण है।
- जापान के बयान पर चीन ने कड़ा विरोध जताया।
- एक चीन की नीति का उल्लंघन हुआ है।
- जापान को अपने नकारात्मक प्रभावों को खत्म करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।
- यह संबंधों में तनाव को बढ़ा सकता है।
बीजिंग, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 1 नवंबर को एपेक बैठक के दौरान थाईवान मुद्दे पर जापानी नेता के गलत बयान के बारे में संवाददाता के सवाल का जवाब दिया।
संवाददाता ने पूछा कि 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को जापानी प्रधानमंत्री ताकाइची साने ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एपेक बैठक के दौरान चीन के थाईवान अधिकारियों के साथ मुलाकात करने की दो पोस्ट और संबंधित तस्वीरें साझा कीं। इस पर चीन की क्या प्रतिक्रिया है?
प्रवक्ता ने कहा कि जापानी नेता ने एपेक बैठक के दौरान चीन के थाईवान प्रशासन के अधिकारियों से मिलने की कोशिश की और सोशल मीडिया पर इसका प्रचार किया। यह कार्रवाई एक चीन की नीति, चीन-जापान के चार राजनीतिक दस्तावेजों की भावना और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के मूलभूत मानदंड का गंभीर उल्लंघन है। इससे थाईवान की स्वतंत्रता के पक्षधर को गलत संदेश भेजा गया है। इसकी प्रकृति और प्रभाव बहुत ही गंभीर हैं। चीन इसका कड़ा विरोध करता है और जापान के सामने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया गया है।
प्रवक्ता ने कहा कि थाईवान मामला चीन का अंदरूनी मामला है, जो चीन के मूल हितों का केंद्र है। यह चीन-जापान संबंधों के राजनीतिक आधार और जापान के बुनियादी विश्वास से संबंधित है, यह एक लाल रेखा है, जिसे पार नहीं किया जा सकता। इस वर्ष चीनी जनता के जापानी अतिक्रमण विरोधी युद्ध और विश्व फासीवाद विरोधी युद्ध की विजय की 80वीं वर्षगांठ है और थाईवान पर चीनी प्रभुसत्ता की बहाली की 80वीं वर्षगांठ भी है। थाईवान मुद्दे पर जापान की अपरिहार्य और गंभीर ऐतिहासिक जिम्मेदारी है। चीन जापान से नकारात्मक प्रभाव खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह करता है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)