क्या यूनुस सरकार ने गोपालगंज के नागरिकों का 'सफाया' किया?

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क्या यूनुस सरकार ने गोपालगंज के नागरिकों का 'सफाया' किया?

सारांश

बांग्लादेश की आवामी लीग ने गोपालगंज में निहत्थे नागरिकों पर हुए जानलेवा दमन की कड़ी निंदा की है। क्या यूनुस सरकार ने वास्तव में निर्दोष नागरिकों का सफाया किया? जानिए इस गंभीर मुद्दे के सभी पहलुओं को।

Key Takeaways

  • गोपालगंज में नागरिकों पर दमन की घटना
  • यूनुस सरकार की भूमिका पर प्रश्न
  • स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया
  • मानवाधिकारों का उल्लंघन
  • वैश्विक समुदाय की जिम्मेदारी

ढाका, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस) । बांग्लादेश की प्रमुख राजनीतिक पार्टी आवामी लीग ने गोपालगंज जिले के निहत्थे नागरिकों पर किए गए 'क्रूर और घातक कार्रवाई' की कड़ी आलोचना की है।

पार्टी ने यूनुस सरकार को दोषी ठहराते हुए कहा है कि राज्य बलों को उन नागरिकों का सफाया करने का आदेश दिया गया, जिन्होंने यूनुस समर्थित राष्ट्रीय नागरिक पार्टी (एनसीपी) के कार्यकर्ताओं का समर्थन करने से इनकार किया।

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बुधवार को प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें होने के बाद कर्फ्यू लागू किया गया।

इस हिंसक दमन में चार लोगों की जान गई और 50 से अधिक लोग घायल हुए। हजारों की संख्या में लोग गोपालगंज की सड़कों पर उतरे और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के 'राज्य प्रायोजित दमन' के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

गोपालगंज के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) मोहम्मद कमरुज्जमां ने कहा कि कर्फ्यू शनिवार सुबह तक जारी रहेगा।

आवामी लीग ने कहा, “हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं कि कई दिनों से कर्फ्यू थोपने और पूरी छूट मिलने के बाद, बांग्लादेश की सशस्त्र सेनाओं और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सदस्यों ने गोपालगंज में निहत्थे नागरिकों पर आधी रात को घातक कार्रवाई की। यह राज्य तंत्र का दुरुपयोग है, जिसका उद्देश्य जनता के आक्रोश को दबाना है, जो यूनुस की विभाजनकारी राजनीति और देश के धर्मनिरपेक्षता व बहुलतावाद के खिलाफ फूटा है।”

बयान में आगे कहा गया, “हम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि यूनुस शासन की मंजूरी के तहत, नागरिकों ने यूनुस समर्थित एनसीपी के कार्यकर्ताओं को अस्वीकार किया, जिसके कारण कानून प्रवर्तन एजेंसियां रातभर लोगों को उनके घरों से खींचकर ले गईं, उन्हें यातनाएं दी गईं और सैकड़ों निहत्थे नागरिकों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया। यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है।”

आवामी लीग ने जोर देकर कहा कि 48 घंटे बीत जाने के बाद भी यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार के किसी उच्च अधिकारी ने पीड़ित परिवारों की सहायता नहीं की। डरे-सहमे परिजनों को इन सुरक्षा बलों द्वारा की गई कथित 'गैर-न्यायिक हत्याओं' के खिलाफ एक भी केस दर्ज करने की अनुमति नहीं दी गई, जो सरकार द्वारा राज्य तंत्र के दुरुपयोग का स्पष्ट संकेत है।

पार्टी ने उन पीड़ितों के परिवारों पर दोष मढ़ने का प्रयास की निंदा की, जिन्हें कानून प्रवर्तन ने गोली मारकर बिना पोस्टमार्टम के दफना दिया।

आवामी लीग ने वैश्विक समुदाय से अपील की है कि वे पीड़ितों के परिवारों और गवाहों के बयानों पर ध्यान दें, जो पहले से ही सोशल मीडिया और मुख्यधारा के मीडिया पर उपलब्ध हैं।

Point of View

यह जरूरी है कि हम इस प्रकार की घटनाओं पर बिना पूर्वाग्रह के विचार करें। हमें हमेशा अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और किसी भी प्रकार के दमन के खिलाफ खड़े होना चाहिए।
NationPress
19/07/2025

Frequently Asked Questions

आवामी लीग ने गोपालगंज में क्या आरोप लगाया?
आवामी लीग ने यूनुस सरकार पर निहत्थे नागरिकों के खिलाफ घातक कार्रवाई का आरोप लगाया है।
कर्फ्यू के कारण क्या हुआ?
कर्फ्यू के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग घायल हुए और कुछ की मौत हो गई।
क्या पीड़ित परिवारों को सहायता मिली?
आवामी लीग के अनुसार, पीड़ित परिवारों को यूनुस सरकार द्वारा कोई सहायता नहीं मिली।