क्या हंगरी ने रूसी तेल खरीद का बचाव किया और यूरोपीय संघ के देशों पर चोरी-छिपे आयात का आरोप लगाया?

सारांश
Key Takeaways
- हंगरी रूस से तेल खरीद रहा है, क्योंकि उसके पास कोई विकल्प नहीं है।
- कुछ अन्य यूरोपीय देश गुपचुप तरीके से सस्ते तेल खरीद रहे हैं।
- हंगरी ने यूक्रेन के यूरोपीय संघ में शामिल होने का समर्थन नहीं किया है।
बुडापेस्ट, 6 सितम्बर (राष्ट्र प्रेस)। हंगरी ने रूस से तेल खरीदने के अपने निर्णय को स्पष्ट किया है। विदेश और व्यापार मंत्री पीटर सिजार्तो ने कहा कि हंगरी मजबूरन रूसी तेल खरीदता है क्योंकि इसके पास कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ यूरोपीय देश गुपचुप तरीके से बिचौलियों के माध्यम से सस्ते तेल का आयात कर रहे हैं।
सिजार्तो ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हमें उन पाखंडियों के बहकावे में नहीं आना चाहिए, जो हंगरी और स्लोवाकिया पर तेल खरीदने के मुद्दे पर सबसे अधिक चिल्लाते हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जो कुछ एशियाई देशों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से रूसी तेल खरीदते हैं।"
मंत्री ने कहा, "हंगरी की ऊर्जा आपूर्ति भौतिक बुनियादी ढांचे पर निर्भर करती है, क्योंकि तेल और गैस केवल मौजूदा पाइपलाइनों के माध्यम से ही पहुंचाई जा सकती हैं।" उन्होंने बताया कि यूरोपीय संघ ने दक्षिण-पूर्व यूरोप में गैस पाइपलाइन की क्षमता बढ़ाने के लिए हंगरी के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
जब उनसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्होंने यूरोपीय देशों से रूस से तेल खरीदना बंद करने की बात की थी, तो सिजार्तो ने कहा कि जो लोग हंगरी और स्लोवाकिया की खरीदारी की आलोचना करते हैं, वे खुद भी इसी तरह के लेनदेन में शामिल हैं।
सिजार्तो ने यह भी कहा कि हंगरी ने यूक्रेन के यूरोपीय संघ सदस्यता की राह पर पहली क्लस्टर वार्ता शुरू करने का समर्थन नहीं किया है।
रीपावरईयू के तहत, यूरोपीय कमीशन ने 2027 तक रूसी गैस और तेल पर अपनी निर्भरता कम करने का निर्णय लिया है, लेकिन स्लोवाकिया और हंगरी ने इस योजना का विरोध किया है।