क्या जापानी दूत की चीन से बातचीत में पीएम ताकाइची की टिप्पणी पर हुआ सख्त ऐतराज?

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क्या जापानी दूत की चीन से बातचीत में पीएम ताकाइची की टिप्पणी पर हुआ सख्त ऐतराज?

सारांश

जापान ने चीन के साथ बिगड़ते रिश्तों को सुधारने के लिए विशेष दूत भेजा। इस दौरान प्रधानमंत्री ताकाइची की विवादास्पद टिप्पणियों पर चीन ने कड़ी आपत्ति दर्ज की। क्या ये टिप्पणियां जापान-चीन संबंधों को प्रभावित करेंगी? जानें इस लेख में।

Key Takeaways

  • जापान ने चीन के साथ बिगड़ते संबंधों को सुधारने के लिए दूत भेजा।
  • चीन ने ताइवान पर जापानी प्रधानमंत्री की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई।
  • यह बातचीत चीन-जापान संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है।

बीजिंग, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। चीन के साथ बिगड़ते संबंधों को सुधारने के लिए जापान ने सोमवार को एक विशेष दूत भेजा। मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि बैठक में स्पष्ट कर दिया गया कि पीएम साने ताकाइची के बयान पर बीजिंग को गंभीर आपत्ति है।

जापानी विदेश मंत्रालय के एशियाई और ओशिनिया ब्यूरो के महानिदेशक मासाकी कनाई ने चीनी विदेश मंत्रालय के एशियाई मामलों के महानिदेशक लियू जिनसोंग के साथ बातचीत की। मंगलवार को हुई इस बातचीत का खुलासा चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने प्रेस को किया। उन्होंने कहा कि आज (मंगलवार) सुबह लियू ने बीजिंग में कनाई के साथ वार्ता की।

इस बातचीत के दौरान, चीन ने ताइवान मुद्दे पर जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची की गलत टिप्पणियों पर एक बार फिर जापान के समक्ष कड़ी आपत्ति दर्ज कराई।

माओ ने कहा, "ताकाइची के भ्रामक बयान अंतर्राष्ट्रीय कानून और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को नियंत्रित करने वाले बुनियादी मानदंडों का गंभीर उल्लंघन करते हैं, युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करते हैं, और एक-चीन सिद्धांत तथा चीन और जापान के बीच चार राजनीतिक दस्तावेजों की भावना का घोर उल्लंघन करते हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि ये टिप्पणियां चीन-जापान संबंधों की राजनीतिक नींव को बुनियादी तौर पर नुकसान पहुंचाती हैं और चीनी लोगों में तीव्र आक्रोश पैदा करती हैं।

इसके साथ ही, माओ ने जापान से गंभीरता से आग्रह किया है कि वह अपने गलत बयानों को वापस ले और चीन-जापान संबंधों की राजनीतिक नींव को बनाए रखे।

क्योदो समाचार एजेंसी ने सोमवार को एक वीडियो फुटेज जारी कर बताया था कि मासाकी कनाई अपने समकक्ष लियू जिनसोंग से मिलने के लिए बीजिंग पहुंचे हैं।

चीन-जापान के बीच विवाद तब शुरू हुआ था जब पीएम साने ताकाइची ने 7 नवंबर को अपने सांसदों से कहा था कि ताइवान पर चीन के हमले से जापान के अस्तित्व को खतरा हो सकता है और इसका जवाब उनकी ओर से दिया जा सकता है।

जापान की पिछली सरकारों ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से चर्चा करने से हमेशा परहेज किया है। ताइवान जापान के सबसे पश्चिमी द्वीपों से लगभग 110 किलोमीटर दूर और उन महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के पास स्थित है जिन पर टोक्यो तेल और गैस की आपूर्ति के लिए निर्भर है।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम इस वार्ता को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों के बीच संबंधों की गंभीरता को समझें। जापान और चीन के बीच यह बातचीत न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी आवश्यक है।
NationPress
18/11/2025

Frequently Asked Questions

जापान ने चीन को क्यों दूत भेजा?
जापान ने चीन के साथ बिगड़ते संबंधों को सुधारने के लिए विशेष दूत भेजा है।
चीन ने ताकाइची की टिप्पणी पर क्या प्रतिक्रिया दी?
चीन ने ताकाइची की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई है।
ताइवान का जापान पर क्या प्रभाव है?
ताइवान के मुद्दे पर जापान को चीन के हमले से खतरा हो सकता है।
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