क्या अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ के नियमों पर आपत्ति जताई?

सारांश
Key Takeaways
- अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ के नए नियमों को खारिज किया।
- नए नियम नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर प्रभाव डाल सकते हैं।
- भविष्य की महामारियों के लिए सभी देशों के बीच सहयोग जरूरी है।
- यह निर्णय वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग पर असर डाल सकता है।
नई दिल्ली, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका ने शुक्रवार को यह स्पष्ट किया कि उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा पिछले वर्ष स्थापित किए गए अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों (आईएचआर) में किए गए संशोधनों को अस्वीकार कर दिया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, अमेरिका के स्वास्थ्य सचिव रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ द्वारा 2024 में प्रस्तावित नए स्वास्थ्य नियमों को औपचारिक रूप से अस्वीकार करता है।
इस संयुक्त बयान में डब्ल्यूएचओ के नए नियमों की कड़ी आलोचना की गई है। बयान में कहा गया है कि ये संशोधन अस्पष्ट और अत्यधिक व्यापक हैं, जिससे अमेरिकी नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
बयान में कहा गया कि डब्ल्यूएचओ द्वारा बनाए गए नए नियमों की भाषा स्पष्ट नहीं है और इनमें स्पष्टता का अभाव है। इससे भ्रम उत्पन्न हो सकता है। साथ ही यह भी कहा गया कि हमारी एजेंसियाँ हमेशा अमेरिकी नागरिकों के हितों को प्राथमिकता देती हैं। ऐसे में हम किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियम को स्वीकार नहीं करेंगे जो लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, निजता या व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करता हो।
गौरतलब है कि जिनेवा में जून 2024 में डब्ल्यूएचओ ने जो स्वास्थ्य समझौता अपनाया था, उसका उद्देश्य था कि अगली महामारी के दौरान दवाएं, टीके और इलाज की तकनीकें सभी देशों में समान रूप से वितरित की जा सकें।
डब्ल्यूएचओ का मानना है कि कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी से सीख लेते हुए यह आवश्यक है कि भविष्य की किसी भी महामारी से निपटने के लिए सभी देशों के बीच सहयोग और संसाधनों का उचित वितरण हो। हालांकि, अमेरिका का कहना है कि वह अंतरराष्ट्रीय सहयोग के समर्थन में है, लेकिन वह किसी भी ऐसे समझौते को नहीं मानता जो उसकी संप्रभुता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों से समझौता करता हो। इस निर्णय से वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग पर प्रभाव पड़ सकता है।