क्या आप हाइपोथायरायडिज्म से परेशान हैं? इन आसान आयुर्वेदिक उपायों से पाएं राहत

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क्या आप हाइपोथायरायडिज्म से परेशान हैं? इन आसान आयुर्वेदिक उपायों से पाएं राहत

सारांश

क्या आप हाइपोथायरायडिज्म से जूझ रहे हैं? जानिए कुछ सरल और प्रभावी आयुर्वेदिक उपाय, जो आपकी स्वास्थ्य समस्या को हल करने में मदद करेंगे। इन उपायों के माध्यम से आप अपने थायरॉयड के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।

Key Takeaways

  • अश्वगंधा थायरॉयड हार्मोन को संतुलित करती है।
  • त्रिफला चूर्ण शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालता है।
  • कंचनार गुग्गुल थायरॉयड की सूजन कम करता है।
  • योग और प्राणायाम थायरॉयड को सक्रिय करते हैं।
  • आयुर्वेदिक उपचार के लिए वैद्य की सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हाइपोथायरायडिज्म तब होता है जब हमारी थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन का निर्माण नहीं करती, जिसके परिणामस्वरूप मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। इसके कारण थकान, वजन में वृद्धि, ठंड लगना, बालों का झड़ना और मूड स्विंग जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। आयुर्वेद में इसे कमजोर पाचन अग्नि से जोड़ा जाता है। इसके लिए कुछ प्राकृतिक और आयुर्वेदिक नुस्खे अत्यधिक लाभकारी होते हैं।

प्रमुख रूप से, अश्वगंधा एक प्रभावी जड़ी-बूटी है, जो थायरॉयड हार्मोन को संतुलित करती है और तनाव एवं कॉर्टिसोल को कम करने में मदद करती है। रोजाना आधे चम्मच अश्वगंधा चूर्ण को गुनगुने दूध के साथ लेने से ग्रंथि की शक्ति में वृद्धि होती है। त्रिफला चूर्ण शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर पाचन अग्नि को सुधारता है और यकृत को डिटॉक्सिफाई करके हार्मोन उत्पादन में सहायक होता है। इसे सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ लेना लाभकारी है।

कंचनार गुग्गुल थायरॉयड की सूजन और सुस्ती को कम करता है और कफ-मेद दोष को घटाता है। अदरक में पाचन को उत्तेजित करने वाले और सूजन-रोधक गुण होते हैं, जो थायरॉयड में रक्त प्रवाह को बढ़ाते हैं और मेटाबॉलिज्म को सक्रिय रखते हैं। लहसुन थायरॉयड एंजाइमों को सक्रिय करता है और शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया को तेज करता है। सुबह खाली पेट 2-3 लहसुन की कलियाँ गुनगुने पानी के साथ खाने से लाभ होता है।

मेथीदाना हार्मोन और रक्त शुगर को संतुलित करता है, नींबू पानी शरीर को डिटॉक्स रखने में सहायक है और वात-कफ दोष को संतुलित करता है। नारियल तेल में मौजूद मध्यम श्रृंखला वाले वसा थायरॉयड को उत्तेजित करते हैं और ऊर्जा को बढ़ाते हैं। तुलसी और दालचीनी मिलकर कॉर्टिसोल को कम करते हैं और मेटाबॉलिज्म को तेज बनाए रखते हैं।

इसके अतिरिक्त, योग और प्राणायाम अत्यधिक आवश्यक हैं। सूर्य नमस्कार गले में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है, जबकि भ्रामरी, उज्जायी और अनुलोम-विलोम प्राणायाम ग्रंथि को सक्रिय करते हैं। नियमित अभ्यास से थायरॉयड संतुलित रहता है, शरीर की ऊर्जा बढ़ती है और मन शांत रहता है।

इन उपायों को अपनाकर हाइपोथायरायडिज्म से जुड़े लक्षणों में धीरे-धीरे सुधार देखा जा सकता है। लेकिन किसी भी आयुर्वेदिक औषधि या उपचार को अपनाने से पहले योग्य वैद्य की सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है।

Point of View

यह कहना जरूरी है कि हाइपोथायरायडिज्म एक आम समस्या बनती जा रही है। लेकिन आयुर्वेदिक उपचारों के माध्यम से इसे नियंत्रित करना संभव है। लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए और प्राकृतिक उपायों को अपनाना चाहिए।
NationPress
04/11/2025

Frequently Asked Questions

हाइपोथायरायडिज्म क्या है?
हाइपोथायरायडिज्म एक स्थिति है जिसमें थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है, जिससे मेटाबॉलिज्म धीमा होता है।
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण क्या हैं?
हाइपोथायरायडिज्म के प्रमुख लक्षणों में थकान, वजन बढ़ना, ठंड लगना, बाल झड़ना और मूड स्विंग शामिल हैं।
आयुर्वेद में हाइपोथायरायडिज्म का इलाज कैसे किया जा सकता है?
आयुर्वेद में हाइपोथायरायडिज्म के लिए अश्वगंधा, त्रिफला, कंचनार गुग्गुल और अदरक जैसे प्राकृतिक उपायों का उपयोग किया जाता है।
क्या योग और प्राणायाम हाइपोथायरायडिज्म में फायदेमंद हैं?
हाँ, योग और प्राणायाम हाइपोथायरायडिज्म के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
क्या मैं बिना डॉक्टर की सलाह के आयुर्वेदिक इलाज ले सकता हूँ?
नहीं, किसी भी आयुर्वेदिक औषधि या उपचार को अपनाने से पहले योग्य वैद्य की सलाह लेना जरूरी है।