आयुर्वेदिक दिनचर्या: <b>ब्रह्म मुहूर्त</b> का समय क्यों महत्वपूर्ण है?
सारांश
Key Takeaways
- ब्रह्म मुहूर्त का समय स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
- इस समय ली गई औषधियां जल्दी असर करती हैं।
- सुबह का समय योग और ध्यान के लिए सर्वोत्तम है।
- 21 दिन तक नियमित दिनचर्या अपनाने से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- हल्की जड़ी-बूटियों का सेवन शरीर को साफ करता है।
नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 3:30 से 5:30 बजे के बीच) का समय आयुर्वेद में अत्यंत शक्तिशाली और लाभकारी माना जाता है। इस समय, शरीर, मन और आत्मा का संतुलन सबसे सही होता है। सुबह के समय शरीर की प्राकृतिक डिटॉक्स प्रणाली अधिक सक्रिय होती है, इसलिए सुबह खाली पेट ली गई औषधियां, जूस या हर्ब्स जल्दी असर करती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, सुबह का समय वात काल का होता है, जो गति, शुद्धि और जागरण से संबंधित है। इस समय ली गई हर्ब्स शरीर के हर ऊतक में तेजी से पहुंचती हैं, जिससे पाचन, रक्तसंचार और स्नायु तंत्र बेहतर तरीके से कार्य करते हैं।
रातभर विश्राम के बाद सुबह पाचन अग्नि पुनः जाग्रत होती है। यदि इस समय हल्की जड़ी-बूटियां जैसे त्रिफला, आंवला, गिलोय या नीम का सेवन किया जाए, तो ये बिना किसी अवरोध के शरीर में जल्दी अवशोषित हो जाती हैं और रक्त व कोशिकाओं की सफाई में मदद करती हैं। नीम, तुलसी, धनिया पानी जैसी चीजें इस प्रक्रिया को और भी प्रभावी बनाती हैं।
सुबह का समय मानसिक और प्राण शक्ति के लिए भी श्रेष्ठ होता है, क्योंकि मन में शांति और ग्रहणशीलता होती है। इस समय योग, ध्यान और प्राणायाम भी अधिक प्रभावी रहते हैं। अश्वगंधा, ब्राह्मी और तुलसी जैसे हर्ब्स मानसिक शक्ति और तनाव को कम करने में मदद करते हैं।
आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि सुबह शरीर का कॉर्टिसोल स्तर स्वाभाविक रूप से बढ़ा होता है, जिससे ऊर्जा मिलती है। इस समय ली गई हर्ब्स और औषध जैविक घड़ी के साथ तालमेल बनाए रखती हैं और अधिक प्रभावशाली होती हैं। सुबह खाली पेट आंवला रस, गिलोय रस, त्रिफला चूर्ण, नीम और तुलसी के पत्ते, एलोवेरा रस, अदरक-शहद मिश्रण, धनिया पानी और हल्दी वाला पानी लेना विशेष रूप से लाभकारी होता है। ये औषध पाचन, इम्यूनिटी, डिटॉक्स और तनाव मुक्ति में मदद करती हैं।
आयुर्वेदिक दिनचर्या के अनुसार सुबह स्नान, दांत और जीभ की सफाई, गर्म पानी का सेवन और औषध लेने से शरीर पूरी तरह से सक्रिय और रोग प्रतिरोधक बनता है।
याद रखें, सुबह सिर्फ 1-2 जड़ी-बूटियां ही लें और जूस या चूर्ण लेने के बाद कम से कम 30 मिनट कुछ न खाएं। लगातार 21 दिन तक इस दिनचर्या का पालन करने से आपको फर्क साफ नजर आने लगेगा।