बचपन में योग करने के फायदे क्या हैं? बच्चों में बढ़ती है एकाग्रता और आत्मविश्वास
सारांश
Key Takeaways
- योग से बच्चों में एकाग्रता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- योगासन बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।
- योग से बच्चों की नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- बच्चों को योग की आदत डालने से उनका भावनात्मक विकास होता है।
- योग भारत की एक अनमोल धरोहर है।
नई दिल्ली, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। योग भारत की एक अमूल्य धरोहर है। हमारे प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में इसका उल्लेख किया गया है। बच्चों को भी वयस्कों के समान योग की आदत डालने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि बचपन में योग आरंभ करने से बच्चे का शरीर, मन और भावनाएं तीनों मजबूत होते हैं।
छोटे बच्चों का शरीर स्वाभाविक रूप से लचीला होता है और उनका मन कहानियों और खेलों के साथ जल्दी जुड़ता है। यदि योगासनों को खेल के साथ जोड़ा जाए, तो बच्चे इसे खुशी से करेंगे और उनका स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा। हम आपको कुछ ऐसे योगासन बताएंगे जो बच्चों को बचपन में करना चाहिए।
बालासन - यह योगासन बच्चों के लिए बेहद लाभकारी है, जिससे मन शांत होता है, शरीर लचीला होता है और पाचन तंत्र में सुधार आता है। इसे करने के लिए बच्चे घुटनों के बल बैठें, आगे की ओर झुकें और माथा जमीन पर रखें। इससे पढ़ाई की थकान दूर होती है और नींद बेहतर आती है।
वृक्षासन - यह योगासन बच्चों की शारीरिक और मानसिक सेहत को सुधारता है। इसे करने से बच्चों का संतुलन, एकाग्रता और आत्मविश्वास बढ़ता है, जबकि पैरों की मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है।
ताड़ासन - यह आसन बच्चों की लंबाई बढ़ाने में बहुत सहायक है। इसे नियमित करने से रीढ़ की हड्डी सीधी होती है और शरीर में खिंचाव आता है, जिससे लंबाई बढ़ाने में मदद मिलती है।
भुजंगासन - इसे अंग्रेजी में कोबरा पोज कहते हैं। इस आसन में शरीर की मुद्रा कोबरा के समान होती है। नियमित करने से बच्चों की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है, तनाव कम होता है और समग्र शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
भ्रामरी - यह प्राणायाम तनाव को कम करने के साथ-साथ एकाग्रता बढ़ाता है। इससे याददाश्त में सुधार होता है और नींद की गुणवत्ता भी बढ़ती है। इसके नियमित अभ्यास से बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और उन्हें भावनात्मक रूप से स्थिर रहने में मदद मिलती है।
बच्चे भी वयस्कों के समान कई प्रकार की अवस्थाओं का सामना करते हैं। इस संदर्भ में, योग का अभ्यास आत्म-सम्मान और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को विकसित करने में सहायक है।