क्या कांटों वाली जड़ी-बूटी भटकटैया खांसी, दमा और पथरी का इलाज कर सकती है?
सारांश
Key Takeaways
- भटकटैया खांसी और दमा के लिए प्रभावी है।
- यह पाचन को सुधारने में मदद करता है।
- बुखार में इसका काढ़ा लाभकारी होता है।
- पथरी के लिए इसकी जड़ का चूर्ण उपयोगी है।
- गर्भवती महिलाओं को डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सड़क किनारे, खेतों और बंजर भूमि पर उगने वाली कांटों वाली झाड़ी, जिसके कांटों को देखकर लोग दूर भाग जाते हैं। इसे आयुर्वेद में दु:स्पर्शा यानी छूने में कठिनाई का नाम दिया गया है। यह कांटेदार पौधा वास्तव में शरीर के अनेक रोगों को समाप्त कर सकता है।
भटकटैया, जिसे कंटकारी और व्याघ्री जैसे नामों से जाना जाता है, पीले-हरे कांटों से ढका होता है। इसके फल पहले हरे-सफेद धारीदार होते हैं और बाद में पककर पीले हो जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, भटकटैया की तासीर गर्म, कड़वी-तीखी, हल्की और पाचक होती है। यह कफ-वात नाशक, खांसी और दमा का उपचार करने वाली, पसीनाबुखार का भी नाश करने वाली है।
आयुर्वेदाचार्य का कहना है कि भटकटैया कई शारीरिक समस्याओं को दूर करने में सहायक है। यह पुरानी खांसी, दमा और छाती के कफ में राहत देती है। कंटकारी का काढ़ा या फल का रस स्वास्थ्य के लिए रामबाण है। दमा में इसके काढ़े में भुनी हींग और सेंधा नमक मिलाकर पीने से आराम मिलता है। बच्चों के लिए भी यह लाभकारी है। खांसी में इसके फूलों का चूर्ण शहद के साथ देने से राहत मिलती है।
भटकटैया आयुर्वेद का एक अनमोल पौधा है। इसके काढ़े का सेवन बुखार में शरीर का तापमान नियंत्रित करता है और सिरदर्द तथा बेचैनी को दूर करता है। पाचन में कमजोरी होने पर भी यह अग्नि को बढ़ाती है।
इसके अलावा, पथरी और पेशाब में जलन होने पर भी भटकटैया का उपयोग किया जाता है। इसकी जड़ का चूर्ण दही के साथ सेवन करने से पथरी गलकर बाहर निकल जाती है। दांत दर्द में इसके बीजों या जड़ का काढ़ा कुल्ला करने से तुरंत राहत मिलती है। यह सिरदर्द, आंखों के दर्द, सर्दी-जुकाम, गले की सूजन, उल्टी, पेट दर्द, बुखार और कमजोर पाचन में भी प्रभावी है।
आसानी से उपलब्ध होने के कारण इसका काढ़ा, चूर्ण या रस बनाकर उपयोग किया जा सकता है। आयुर्वेदाचार्य इसे श्वास रोगों और ज्वर में विशेष लाभकारी मानते हैं। भटकटैया कांटा नहीं, बल्कि दवाइयों का पूरा डिब्बा है। हालांकि, इसकी तासीर गर्म होने के कारण गर्भवती महिलाओं और पित्त प्रकृति के लोगों को डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए।