क्या भारत और फिनलैंड ने द्विपक्षीय सहयोग को नया मोड़ दिया?
सारांश
Key Takeaways
- द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए नई पहल।
- फिनलैंड का भारत के प्रति समर्थन।
- वैश्विक चुनौतियों पर बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकता।
नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और फिनलैंड के बीच 13वीं विदेश कार्यालय परामर्श (एफओसी) वार्ता सम्पन्न हुई। इस बैठक का आयोजन 6 नवंबर को हेलसिंकी में हुआ, जहां दोनों देशों ने द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने पर अपना ध्यान केंद्रित किया।
भारत के विदेश मंत्रालय ने इस परामर्श के बारे में एक आधिकारिक बयान जारी किया है। मंत्रालय के अनुसार, इस वार्ता में भारत का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) सिबी जॉर्ज ने किया, जबकि फिनलैंड का प्रतिनिधित्व वहां के विदेश मंत्रालय के स्थायी राज्य सचिव जुक्का सलोवारा ने किया।
सिबी जॉर्ज हेलसिंकी में बैठक के लिए पहुंचे और वहां फिनलैंड के रोजगार मंत्री मतियास मार्टिनेन से मुलाकात भी की। विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि भारत और फिनलैंड के बीच व्यापार एवं निवेश, डिजिटलीकरण, क्वांटम कंप्यूटिंग, 5जी/6जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्थिरता, क्लीन टेक्नोलॉजी, सर्कुलर इकोनॉमी, शिक्षा, अनुसंधान एवं विकास, लोगों के बीच संबंध और गतिशीलता के क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जाहिर की गई।
फिनलैंड भारत, यूरोपीय संघ एवं नॉर्डिक क्षेत्र में अपना विश्वसनीय साझेदार मानता है। भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी के तहत हाल के दिनों में काफी प्रगति देखने को मिली है। फिनलैंड ने भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते को शीघ्रता से पूरा करने के लिए अपना समर्थन भी दर्शाया है।
इसके अतिरिक्त, दोनों देशों ने आर्कटिक और संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय सहयोग को लेकर भी विचार-विमर्श किया। फिनलैंड ने पुनर्गठित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपना समर्थन फिर से दोहराया। यह ध्यान देने योग्य है कि इससे पहले भी कई देशों ने भारत को संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता दिलाने के लिए समर्थन प्रदान किया है।
हाल के समय में जो क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाएं घटित हुई हैं, उस पर भी दोनों देशों ने अपने विचार साझा किए और वैश्विक चुनौतियों के समाधान में बहुपक्षीय सहयोग और निरंतर संवाद के महत्व पर प्रकाश डाला।