क्या दिल्ली में भारत-ब्रुनेई संयुक्त कार्य समूह की उद्घाटन बैठक से रक्षा सहयोग मजबूत होगा?
सारांश
Key Takeaways
- भारत और ब्रुनेई के बीच रक्षा सहयोग को मजबूती प्रदान करने की दिशा में जेडब्लूजी की पहली बैठक महत्त्वपूर्ण है।
- बैठक में सैन्य आदान-प्रदान, संयुक्त प्रशिक्षण, और समुद्री सुरक्षा पर चर्चा हुई।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दोहराया गया।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और ब्रुनेई के बीच रक्षा सहयोग को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए संयुक्त कार्य समूह (जेडब्लूजी) की पहली बैठक मंगलवार को नई दिल्ली में संपन्न हुई। यह बैठक दोनों देशों की द्विपक्षीय साझेदारी को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
बैठक में सैन्य आदान-प्रदान, संयुक्त प्रशिक्षण, समुद्री सुरक्षा, समुद्री मार्गों की सुरक्षा, मानवीय सहायता और आपदा राहत, क्षमता निर्माण, रक्षा उद्योग और तकनीकी सहयोग जैसे विभिन्न क्षेत्रों पर विस्तृत चर्चा की गई।
इस बैठक की सह-अध्यक्षता भारत के रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव अमिताभ प्रसाद और ब्रुनेई के रक्षा मंत्रालय की उप-स्थायी सचिव पोह कुई चून ने की। बैठक शुरू होने से पहले दोनों प्रतिनिधियों ने संयुक्त कार्य समूह की स्थापना से जुड़े विचारार्थ विषयों (टीओआर) पर हस्ताक्षर किए।
इसे भारत और ब्रुनेई के रक्षा सहयोग के नए दौर की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि जेडब्लूजी आगे चलकर मौजूदा रक्षा संबंधों की समीक्षा और नए अवसरों की पहचान करने का महत्वपूर्ण मंच बनेगा।
बैठक के दौरान दोनों देशों ने रक्षा साझेदारी में हो रही बढ़ोतरी का स्वागत किया और जेडब्लूजी तंत्र के तहत एक सुचारू और योजनाबद्ध रोडमैप पर मिलकर काम करने पर सहमति जताई। इसके साथ ही उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और नियम-आधारित व्यवस्था बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
यह इस बात का संकेत है कि दोनों देश क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग को और अधिक मजबूत बनाने के इच्छुक हैं।
अपने दो दिवसीय भारत दौरे के दौरान ब्रुनेई की उप-स्थायी सचिव पोह कुई चून ने भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह से मुलाकात की और रक्षा मामलों में साझा सहयोग पर चर्चा की। इसके अलावा, उन्होंने नई दिल्ली स्थित डीपीएसयू भवन का भी दौरा किया, जिसका हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन किया था।
यह अत्याधुनिक भवन सभी 16 रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों का एक केंद्रीय केंद्र है, जिसका उद्देश्य सहयोग बढ़ाना, नवाचार को प्रोत्साहित करना और वैश्विक स्तर पर भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को प्रदर्शित करना है।