क्या भारत पाकिस्तान या बांग्लादेश है, जहां इस्लामिक कानून चलता हो? : गिरिराज सिंह
सारांश
Key Takeaways
- भारत का संविधान सभी के लिए लागू होता है।
- कानून देश के लिए होता है, न कि व्यक्तिगत आस्था के लिए।
- धार्मिक आस्था का सम्मान होना चाहिए, लेकिन संविधान सर्वोपरि है।
- सोनिया गांधी की नागरिकता पर उठाए गए सवाल गंभीर हैं।
- किसी को भी उसकी आस्था के खिलाफ कुछ करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मौलाना अरशद मदनी द्वारा 'वंदे मातरम' पर दिए गए विवादास्पद बयान का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने स्पष्ट किया कि यह पाकिस्तान या बांग्लादेश नहीं है, जहां इस्लामिक कानून लागू होता है; यह भारत है।
गिरिराज सिंह ने मदनी पर तंज कसते हुए कहा कि भारत का संविधान सभी के लिए है, चाहे वह कोई भी हो। जो संविधान का पालन नहीं करेगा, उसके लिए कानून अपना काम करेगा।
उन्होंने कहा कि 'वंदे मातरम' से केवल वही असहमत हो सकता है, जो भारत के संविधान को मानता नहीं है। कानून किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए बनता है।
सोनिया गांधी की भारत की नागरिकता से पहले मतदाता बनने के सवाल पर गिरिराज ने कहा कि यह जांच का विषय है। इतना बड़ा परिवार, अगर दोहरी नागरिकता रखता है, तो यह गंभीर मुद्दा है।
मौलाना अरशद मदनी ने सोशल मीडिया पर यह कहा था कि हमें किसी के 'वंदे मातरम' पढ़ने या गाने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मुसलमान केवल एक अल्लाह की इबादत करता है और अपनी इबादत में अल्लाह के सिवा किसी अन्य को शामिल नहीं कर सकता।
उन्होंने आगे कहा कि 'वंदे मातरम' के चार छंदों में देश को देवता मानकर दुर्गा माता की तुलना की गई है, जो किसी मुसलमान की धार्मिक आस्था के खिलाफ है। इसलिए किसी को उसकी आस्था के खिलाफ नारा या गीत गाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। मुसलमानों की देशभक्ति के लिए किसी प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है। हमें मर जाना स्वीकार है, लेकिन शिर्क कभी स्वीकार नहीं।