क्या भाजपा फैसले लेने से पहले पंजाब के किसी नेता से नहीं पूछती? परगट सिंह
सारांश
Key Takeaways
- भाजपा पंजाब के नेताओं से सलाह नहीं लेती।
- राज्य में कई समस्याएँ हैं, जिन पर चर्चा की जानी चाहिए।
- विचारधारा की लड़ाई महत्वपूर्ण है।
- नेताओं को जनता के हितों पर ध्यान देना चाहिए।
- कैप्टन अमरिंदर सिंह की वापसी पर सवाल उठाए गए हैं।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि भाजपा की उच्च कमान उनसे कोई सलाह नहीं लेती। इस पर कई नेताओं की प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस की कार्यशैली अलग है।
परगट सिंह ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि जिस पार्टी में आप लंबे समय तक रहे हैं, उसके संस्कृति में आप अधिक सहज महसूस करते हैं। भाजपा अपने निर्णय लेने में पंजाब के किसी नेता से नहीं पूछती।
कांग्रेस संस्कृति का उल्लेख करते हुए परगट सिंह ने कहा कि यह एक विचारधारा की लड़ाई है, न कि दुश्मनी की। लोग अब अपने व्यक्तिगत हितों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। यह बात उसूलों और विचारधारा की है, लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं करता।
उन्होंने कहा कि राज्य में कई समस्याएँ हैं, राज्य मुश्किल में है। शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं करता। चाहे राजनीतिक दल हो या नेता, वे ऐसी बातें नहीं करते जो पंजाब के लोगों के लिए फायदेमंद हों। मुद्दों की चर्चा करने पर ही समाधान निकलेगा।
परगट सिंह ने कहा कि एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाने से किसी की छवि बन या बिगड़ सकती है, लेकिन इससे पंजाब को कोई लाभ नहीं होगा।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस में लौटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह उनका व्यक्तिगत निर्णय है। मेरी लड़ाई केवल विचारधारा के लिए है। मैं हमेशा पंजाब और देश की भलाई के बारे में सोचता हूँ। मैं लोगों की राय लेकर ही बोलता हूँ और कदम उठाता हूँ। वे बड़े नेता हैं, उनके पास राजनीति का गहरा अनुभव है।
उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की उम्र अधिक हो चुकी है। मुझे लगता नहीं कि उनके वापस कांग्रेस में आने से पार्टी को कोई विशेष लाभ होगा।