क्या वर्ष 2025 भाजपा के लिए एक नई दिशा में सफलता का प्रतीक बना?
सारांश
Key Takeaways
- भाजपा ने 2025 में दिल्ली और बिहार में महत्वपूर्ण जीत हासिल की।
- केरल में स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत हुई।
- एनडीए ने बिहार में 200 सीटों का आंकड़ा पार किया।
- 2025 का वर्ष भाजपा के लिए राजनीतिक वर्चस्व का प्रतीक है।
- उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की।
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्ष 2025, भारतीय राजनीति के लिए भाजपा नीत एनडीए के लिए एक महत्वपूर्ण सफलताओं का वर्ष बनकर उभरा है। दिल्ली की सत्ता से लेकर बिहार की विशाल जीत तक, प्रत्येक दिशा में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने ऐसा परचम लहराया कि विरोधियों की योजनाएं ध्वस्त हो गईं। अब इस वर्ष का अंतिम महीना भाजपा के लिए दक्षिण के द्वार खोल चुका है। इसका सबसे दृढ़ उदाहरण केरल में हुए स्थानीय निकाय चुनाव के परिणाम हैं।
तिरुवनंतपुरम नगर निगम में ऐतिहासिक जीत दर्ज करके भाजपा ने वामपंथी दलों के गढ़ में सेंध लगाने का कार्य किया, जो केरल की राजनीति में एक 'वॉटरशेड मोमेंट' बना। भाजपा के लिए वर्ष 2025 की यह जीत अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर जब केरल और तमिलनाडु जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। भाजपा ने दक्षिण भारत के राज्यों में अब तक कभी जीत हासिल नहीं की थी।
इसी प्रकार, एक महीने पहले, बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा नीत एनडीए ने सफलता का परचम लहराया। अक्टूबर-नवंबर में हुए चुनावों के दौरान हर वर्ग, क्षेत्र और मुद्दे पर एनडीए का प्रभाव स्पष्ट था। यही कारण है कि यह वर्ष भाजपा के लिए राजनीतिक वर्चस्व, जनसमर्थन और ऐतिहासिक सफलता का प्रतीक बन गया।
भाजपा और भाजपा नीत एनडीए ने 2010 के बाद बिहार में इस प्रकार का प्रदर्शन दोहराया है। 15 वर्षों पहले, जदयू ने 115 और भाजपा ने 91 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। 2025 में भाजपा को 89 और जदयू को 85 सीटों पर जीत मिली। अन्य घटक दलों को मिलाकर एनडीए ने बिहार में दूसरी बार 200 सीटों का आंकड़ा पार किया। इस आंधी में पिछले चुनाव के मुकाबले राजद की सीटें आधी रह गईं, जबकि कांग्रेस के विधायक केवल उंगलियों पर गिनने लायक रह गए।
भाजपा ने इस प्रचंड जीत की नींव 2025 की शुरुआत में ही दिल्ली में रखी थी। 27 वर्षों तक दिल्ली उत्तर भारत का एकमात्र नाम था, जहाँ भाजपा कभी सरकार नहीं बना पाई। 1993 में भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अंतिम जीत हासिल की थी। उसके बाद पार्टी दिल्ली में लगातार संकट में फंसी रही।
बीच-बीच में भाजपा ने कई बार अपने बुरे दौर से उबरने की कोशिशें कीं। शुरूआत की 'मोदी लहर' में भी भाजपा दिल्ली नहीं जीत सकी थी। अंततः, 2025 में ही भाजपा ने अपने कमाल दिखाए, जब उसे 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में 48 सीटों के साथ बहुमत मिला।
इस वर्ष भाजपा और एनडीए के लिए उपराष्ट्रपति चुनाव भी महत्वपूर्ण रहा। जगदीप धनखड़ ने अचानक पद से इस्तीफा दिया, जिसके बाद अगस्त में उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराए गए। एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन रहे, जबकि विपक्षी दलों ने बी. सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा था। सीपी राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी को हराया।