क्या सीबीआई ने ओडिशा में एमसीएल के मुख्य प्रबंधक को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने ओडिशा में एक प्रमुख प्रबंधक को रिश्वत लेते पकड़ा।
- आरोपी ने 30 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी।
- जांच एजेंसी ने सख्त कार्रवाई की है।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
- इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है।
नई दिल्ली, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने ओडिशा के सुंदरगढ़ स्थित बसुंधरा क्षेत्र में महानदी कोल लिमिटेड (एमसीएल) के मुख्य प्रबंधक (खनन) को एक शिकायतकर्ता से 20 हजार रुपए की रिश्वत मांगते और स्वीकार करते हुए पकड़ा है। सीबीआई ने आरोपी के खिलाफ मंगलवार को तुरंत मामला दर्ज किया था।
आरोप है कि एमसीएल के आरोपी मुख्य प्रबंधक (खनन) ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले में शिकायतकर्ता के रिश्तेदार के पक्ष में 11,37,595 रुपए की क्षतिपूर्ति निधि जारी करने में मदद करने के लिए शिकायतकर्ता से 30 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। बातचीत के बाद आरोपी ने शिकायतकर्ता से 20 हजार रुपए की रिश्वत लेने पर सहमति जताई।
सीबीआई ने जाल बिछाकर आरोपी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया और उसे गिरफ्तार कर लिया। एजेंसी इस मामले में आगे की जांच कर रही है।
इसके अलावा, सीबीआई ने न्यायालय में रिश्वतखोरी के एक मामले में राजस्थान के पूर्व दूरसंचार जिला प्रबंधक को चार वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई। जयपुर के सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश ने तत्कालीन दूरसंचार जिला प्रबंधक राजेश कुमार बंसल और कनिष्ठ लेखा अधिकारी (सेवानिवृत्त) एम.एल. बंसल को रिश्वतखोरी के मामले में दोषी ठहराते हुए चार वर्ष के कठोर कारावास और प्रत्येक पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया।
सीबीआई ने छह अप्रैल 2017 को यह मामला दर्ज किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि राजेश कुमार बंसल ने एम.एल. बंसल के माध्यम से शिकायतकर्ता से एक निविदा कार्य से संबंधित लंबित बिल के करीब 60 लाख रुपए के भुगतान के बदले में 1.20 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी।
जांच एजेंसी ने जाल बिछाया और राजेश कुमार बंसल को एम.एल. बंसल के साथ शिकायतकर्ता से एक लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। सीबीआई टीम ने रिश्वत की राशि आरोपी के पास से बरामद की थी। जांच के बाद, सीबीआई ने 22 सितंबर 2017 को दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। ट्रायल के बाद न्यायालय ने आरोपियों के खिलाफ आरोपों को सही पाया।