क्या बाबा महाकाल ने भक्तों को 'त्रिपुंड-चंद्रमा' वाले रूप में दर्शन दिए?
सारांश
Key Takeaways
- बाबा महाकाल के दर्शन से भक्तों को अद्भुत अनुभव मिलता है।
- भस्म आरती में भक्तों की भागीदारी महत्वपूर्ण होती है।
- महाकाल की आराधना से अनेक दोषों का निवारण होता है।
- भक्तों को ऑनलाइन पंजीकरण कराना आवश्यक है।
- महाकाल की आरती का विशेष महत्व है।
उज्जैन, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मंगलवार को उज्जैन स्थित बाबा महाकाल के दरबार में भक्तों को बाबा के दिव्य दर्शन का अद्भुत अनुभव हुआ।
अगहन मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को, मंगलवार की सुबह बाबा महाकाल ने त्रिपुंड और माथे पर चंद्रमा के साथ भक्तों को मनमोहक दर्शन दिए। बाबा का यह अद्भुत रूप देख भक्तों ने हर-हर महादेव के जयकारे लगाए। रात से ही श्रद्धालु बाबा की भस्म आरती का हिस्सा बनने के लिए लंबी कतार में खड़े थे।
सुबह 4 बजे भस्म आरती के लिए पट खुलने के बाद पुजारियों ने भगवान महाकाल का दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और फलों के रस से पंचामृत अभिषेक किया और भस्म आरती का आयोजन किया। महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा शिवलिंग पर भस्म अर्पित की जाती है, जिसमें बाबा भक्तों को निराकार रूप में दर्शन देते हैं। भस्म आरती के बाद बाबा को चंदन से शृंगार किया गया, और माथे पर चंद्रमा सुसज्जित किया गया। नवीन मुकुट पहनाने के बाद बाबा पर फूलों की माला अर्पित की गई।
शृंगार के बाद बाबा भक्तों को साकार रूप में दर्शन देते हैं। बाबा का चंदन रजत रूप देखने के लिए भक्तों ने लाइन लगाई और पूरा मंदिर बाबा के जयकारों से गूंज उठा।
यह जानकारी होनी चाहिए कि भस्म आरती में शामिल होने के लिए भक्तों को पहले से ऑनलाइन पंजीकरण कराना होता है। इस दिन उन्हें भस्म आरती के लिए नंबर या टोकन मिलता है और उसी दिन दर्शन के लिए आते हैं। पंजीकरण के लिए मंदिर द्वारा निर्धारित शुल्क भी अदा करना होता है।
भस्म आरती का हिस्सा बनने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। माना जाता है कि महाकाल की आराधना से कालदोष, ग्रहदोष और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। अगर राहु-केतु के दोष परेशान कर रहे हैं, तो भी भक्तों को मंदिर में अनुष्ठान और पूजा-पाठ के लिए आना चाहिए। महाकाल की दिन में 6 बार आरती होती है, और हर आरती का खास महत्व होता है।