क्या चुनाव आयोग ने खुद का काम नहीं किया? पवन खेड़ा पर आरोप क्यों?: अभिषेक मनु सिंघवी

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क्या चुनाव आयोग ने खुद का काम नहीं किया? पवन खेड़ा पर आरोप क्यों?: अभिषेक मनु सिंघवी

सारांश

अभिषेक मनु सिंघवी ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। बिहार में एसआईआर को लेकर उठे विवाद के पीछे की सच्चाई जानें। क्या चुनाव आयोग ने अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में चूक की है?

Key Takeaways

  • चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं।
  • बिहार में एसआईआर प्रक्रिया का विवाद गहरा हो रहा है।
  • पवन खेड़ा की कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है।
  • आधार कार्ड को एसआईआर में शामिल नहीं करना एक विवाद है।

नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के लॉ, ह्यूमन राइट्स एवं आरटीआई विभाग के चेयरमैन अभिषेक मनु सिंघवी ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए हैं। बुधवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की और कहा कि यह संस्था संविधान के तहत होते हुए भी अपने दायित्वों का निर्वहन निष्पक्ष रूप से नहीं कर रही है।

सिंघवी ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आयोग तब ही कदम उठाता है जब कोर्ट आदेश देती है। उन्होंने कहा कि बिहार में एसआईआर के मामले में चुनाव आयोग को स्वयं पहल करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

सिंघवी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने एसआईआर की प्रक्रिया के दौरान जनता को विश्वास में नहीं लिया। उन्होंने याद दिलाया कि पहले की प्रक्रिया लोकसभा चुनाव से एक साल पहले और विधानसभा चुनाव से दो साल पहले शुरू की जाती थी, लेकिन इस बार जून के अंत में अचानक बिना किसी पूर्व सूचना या चेतावनी के प्रक्रिया शुरू कर दी गई। इस पर जब सवाल पूछा गया तो आयोग ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र और अरुणाचल में इसी कारण एसआईआर स्थगित कर दी गई थी, फिर बिहार में ऐसा क्यों नहीं किया गया, यह गंभीर सवाल बना हुआ है।

सिंघवी ने एसआईआर प्रक्रिया में आधार कार्ड को नहीं शामिल करने को लेकर भी सवाल किया। उन्होंने कहा कि जब अन्य सभी योजनाओं में जैसे राशन, पेंशन और टैक्स में आधार को स्वीकार किया जाता है तो एसआईआर प्रक्रिया में उसे अमान्य मानना गलत है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद अधिकारियों ने आधार को मान्य नहीं किया और जिन अधिकारियों ने आधार स्वीकार किया, उन्हें कारण बताओ नोटिस थमा दिया गया।

उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में 65 लाख वोटरों को सूची से हटा दिया गया, लेकिन चुनाव आयोग ने इसका कोई कारण नहीं बताया। इस पर भी आयोग का रवैया स्पष्ट नहीं रहा और जनता को अनिश्चितता में रखा गया।

सिंघवी ने कहा कि पवन खेड़ा लगातार चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते रहे हैं और यही कारण है कि आयोग ने उन्हें निशाना बनाया है। दो जगह वोटर कार्ड के मामले में आयोग ने 2 सितंबर को पवन खेड़ा को कारण बताओ नोटिस जारी किया। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने केवल नोटिस ही नहीं भेजा बल्कि पवन खेड़ा और उनकी पत्नी की निजी जानकारी भी अखबारों में प्रकाशित कर दी। नोटिस की भाषा भी दोषी ठहराने और मानहानि करने जैसी थी। उन्होंने कहा कि यह कदम प्रतिशोध की भावना से उठाया गया है।

सिंघवी ने विस्तार से बताया कि पवन खेड़ा 2017 में जंगपुरा शिफ्ट हुए थे और उन्होंने नए पते पर नाम ट्रांसफर करने के लिए फॉर्म भरकर आयोग को जमा किया था। उनके पास इसकी रसीद भी मौजूद है, जिस पर 18 अगस्त 2017 की तारीख दर्ज है। आयोग ने स्वयं उनका नाम नए पते पर दर्ज किया था। ऐसे में अब अचानक यह आरोप लगाया जा रहा है कि उनके पास दो जगह वोटर कार्ड है।

सिंघवी ने कहा कि चुनाव आयोग को यह देखना चाहिए कि जो काम उसे 2017 में करना चाहिए था, वह अब तक अधूरा क्यों है। इसके बजाय आयोग पवन खेड़ा पर कार्रवाई कर रहा है जो जनहित में उसकी खामियों को उजागर करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयोग को अपना काम सही तरीके से न करने पर शर्म आनी चाहिए थी, लेकिन इसके विपरीत वह एक जिम्मेदार नेता की छवि बिगाड़ने में लगा है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। आयोग को अपनी जिम्मेदारियों का निष्पक्षता से पालन करना चाहिए, ताकि लोकतंत्र की भावना को बनाए रखा जा सके।
NationPress
10/09/2025

Frequently Asked Questions

चुनाव आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया में क्या गलत किया?
चुनाव आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया में जनता को विश्वास में नहीं लिया और इसे अचानक शुरू किया, जिससे कई सवाल उठे।
पवन खेड़ा पर आरोप क्यों लगाए गए?
पवन खेड़ा ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे, जिसके कारण उन्हें निशाना बनाया गया।
बिहार में 65 लाख वोटरों को क्यों हटाया गया?
चुनाव आयोग ने इसके पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया, जिससे अनिश्चितता बनी हुई है।