क्या चुनाव आयोग ने मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए विशेष रोल प्रेक्षकों की तैनाती की?
सारांश
Key Takeaways
- भारत निर्वाचन आयोग ने विशेष रोल प्रेक्षकों की तैनाती की है।
- यह कदम मतदाता सूची पुनरीक्षण को पारदर्शी और सुदृढ़ बनाने के लिए उठाया गया है।
- विशेष प्रेक्षक प्रमुख राज्यों में चुनावी प्रक्रियाओं की निगरानी करेंगे।
- बैठकें राजनीतिक दलों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए आयोजित की जाएंगी।
- निर्वाचन आयोग का उद्देश्य लोकतंत्र को मजबूत करना है।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत निर्वाचन आयोग ने प्रमुख राज्यों में विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) को और भी सुदृढ़ और पारदर्शी बनाने के लिए विशेष रोल प्रेक्षकों (स्पेशल रोल ऑब्जर्वर्स-एसआरओ) की तैनाती की है। आयोग ने शुक्रवार को एक प्रेस नोट जारी कर यह जानकारी दी।
आयोग की ओर से जारी प्रेस नोट के अनुसार, ये प्रेक्षक पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चल रहे एसआईआर की निगरानी करेंगे। इन राज्यों में मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन की प्रक्रिया फरवरी 2026 तक पूरी की जानी है। निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त किए गए विशेष रोल प्रेक्षकों ने अपना कार्य शुरू भी कर दिया है। वे सप्ताह में दो दिन इन राज्यों में मौजूद रहेंगे और मतदाता सूची के पुनरीक्षण से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं पर नजर रखेंगे। आयोग का कहना है कि यह कदम पुनरीक्षण कार्य की गुणवत्ता, पारदर्शिता और भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
विशेष रोल प्रेक्षक राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त सभी राजनीतिक दलों के नेतृत्व से बैठकें करेंगे। इन बैठकों का उद्देश्य राजनीतिक दलों के सुझावों, शिकायतों और अपेक्षाओं को समझते हुए मतदाता सूची पुनरीक्षण को अधिक व्यापक और निष्पक्ष बनाना है। साथ ही, एसआरओ संबंधित राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) और जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) के साथ भी नियमित रूप से बैठकें करेंगे। ये बैठकें भौतिक रूप से या वर्चुअल माध्यम से आयोजित की जा सकती हैं, ताकि किसी भी स्तर पर होने वाली समस्या को तुरंत सुलझाया जा सके।
निर्वाचन आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि विशेष रोल प्रेक्षक एसआईआर के पूरे संचालन पर करीबी नजर रखेंगे, ताकि कोई भी पात्र मतदाता सूची से बाहर न रह जाए और कोई अपात्र व्यक्ति सूची में शामिल न हो सके। आयोग का कहना है कि पारदर्शी और अद्यतन मतदाता सूची लोकतांत्रिक प्रक्रिया की नींव है और इन्हीं उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विशेष प्रेक्षकों की नियुक्ति की गई है।