क्या चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव के लिए रिटर्निंग अधिकारियों का प्रशिक्षण शुरू किया?

सारांश
Key Takeaways
- बिहार विधानसभा चुनाव के लिए रिटर्निंग अधिकारियों का प्रशिक्षण
- ऑनलाइन मूल्यांकन और दुविधा-निवारण सत्र
- ईसीआईनेट ऐप का उपयोग
- चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना
- प्रशिक्षण में भाग लेने वाले अधिकारियों की संख्या
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव और उपचुनावों की तैयारियों को मजबूती प्रदान करने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया है। आयोग ने रिटर्निंग अधिकारियों और सहायक रिटर्निंग अधिकारियों के लिए 9 और 10 अक्टूबर को एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में नामांकन प्रक्रिया पर विशेष ध्यान दिया गया, जिसमें ऑनलाइन मूल्यांकन और दुविधा-निवारण सत्र भी शामिल थे। आयोग ने ईसीआईनेट के पीठासीन अधिकारी मॉड्यूल पर जिला निर्वाचन अधिकारियों और रिटर्निंग अधिकारियों को भी जानकारी दी।
प्रशिक्षण में 243 रिटर्निंग अधिकारियों और 1418 सहायक रिटर्निंग अधिकारियों ने इस वर्चुअल सत्र में भाग लिया। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 21 और 24 के तहत, आयोग प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए रिटर्निंग अधिकारियों को नियुक्त करता है ताकि चुनाव कानूनों और नियमों के अनुसार सुचारू रूप से कार्यवाही हो सके। ये अधिकारी आयोग के नियंत्रण और अनुशासन के अधीन होते हैं।
प्रशिक्षण में नामांकन, उम्मीदवारों की योग्यता-अयोग्यता, आदर्श आचार संहिता (एमसीसी), प्रतीक आवंटन, मतदान दिवस की व्यवस्था और मतगणना जैसे सभी चरणों को शामिल किया गया। राष्ट्रीय स्तर के मास्टर प्रशिक्षक इन सत्रों में अधिकारियों की शंकाओं का समाधान करेंगे, ताकि वे चुनाव प्रक्रिया के लिए पूरी तरह तैयार रहें।
आयोग ने ईसीआईनेट के पीठासीन अधिकारी मॉड्यूल पर भी जानकारी दी, जिसके तहत पीठासीन अधिकारी हर दो घंटे में और मतदान समाप्त होने पर ईसीआईनेट ऐप पर वोटर टर्नआउट डेटा अपलोड करेंगे। यह डेटा रिटर्निंग अधिकारी स्तर पर स्वचालित रूप से संकलित होगा, जिससे रियल-टाइम मतदान रुझान उपलब्ध होंगे। मतदान से पहले सभी मतदान केंद्रों पर इस एप्लीकेशन का ट्रायल रन भी किया जाएगा। ये सत्र राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मुख्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा आयोजित प्रशिक्षणों के अतिरिक्त हैं।
उप निदेशक पी. पवन के अनुसार यह पहल बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए है। बिहार में 2020 के चुनाव में 71 प्रतिशत मतदान हुआ था, और इस बार आयोग डिजिटल तकनीक के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर दे रहा है।