क्या कांग्रेस और राजद को 'हारे का हेमंत सोरेन सहारा' मंत्र जपना चाहिए?
सारांश
Key Takeaways
- चंपई सोरेन की भाजपा में जाने को राजनीतिक आत्महत्या माना गया।
- घाटशिला उपचुनाव में झामुमो ने जीत हासिल की।
- कांग्रेस और राजद को हेमंत सोरेन का सहारा लेने की सलाह दी गई।
रांची, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भाजपा में जाकर अपनी राजनीतिक जिंदगी का अंत कर लिया।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को हरमू स्थित पार्टी के कैंप कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि विनाश काले विपरीत बुद्धि, किसी का दुर्घटना में घायल होना अलग बात है, उसका इलाज हो सकता है, लेकिन यदि कोई आत्महत्या कर ले तो उसके लिए क्या उपाय है। इसी तरह चंपई सोरेन ने भाजपा में जाकर अपनी राजनीतिक आत्महत्या कर ली है।
घाटशिला उपचुनाव के नतीजों पर उन्होंने कहा कि वहां की जनता ने भारी मतों से झामुमो के प्रत्याशी सोमेश सोरेन को विजयी बना कर सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व पर अपनी मुहर लगाई है और दिशोम गुरु शिबू सोरेन एवं रामदास सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित की है।
भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने जिस प्रकार की नकारात्मक राजनीति वहां की, उसका करारा जवाब घाटशिला की जनता ने दिया है। अब भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को यह सोचना होगा कि ऐसी नकारात्मक राजनीति करने वाले को संगठन से विदाई दें।
उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव के नतीजे जनादेश नहीं, बल्कि ज्ञानादेश हैं। यह लोकतंत्र की हत्या है। वहां का कोई भी मतदाता इस नतीजे को पचा नहीं सकता। हमने कभी नहीं देखा कि कोई पार्टी 100 सीटों पर लड़े और 95 सीटें हासिल कर ले।
उन्होंने कहा कि यदि झामुमो महागठबंधन के साथ बिहार चुनाव में लड़ी होती तो निश्चित रूप से महागठबंधन मजबूत होता। कांग्रेस, राजद और वाम दलों को आदिवासी, दलित और शोषित के संघर्ष की पूरी जानकारी नहीं है। इसलिए ऐसे नतीजे आए हैं, यदि उन्हें समझ होती तो हम उस चुनाव का हिस्सा होते।
उन्होंने कहा कि उपचुनाव के नतीजे के बाद हम समीक्षा करेंगे। यदि उपचुनाव से पहले रांची आकर तेजस्वी यादव हेमंत सोरेन से बात कर लेते तो नतीजे कुछ और होते। हारे का हेमंत सोरेन है सहारा, यह मंत्र कांग्रेस और राजदवालों को जपना चाहिए।