क्या कांग्रेस और सीपीएम के बीच हो रही है स्पर्धा?

सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस और सीपीएम के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
- मुख्तार अब्बास नकवी ने इसे राजनीतिक पाखंड कहा।
- इस विवाद में जनता के हितों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
- भाषा विवाद पर भी उनकी राय है कि इससे शालीनता को नुकसान हुआ है।
- फर्जी मतदाताओं के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केरल में एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और सीपीएम के खिलाफ बयान दिया। भाजपा प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने इसे 'राजनीतिक पाखंड' करार दिया और कहा कि वर्तमान में कांग्रेस और सीपीएम के बीच यह प्रतिस्पर्धा है कि कौन सबसे बड़ा कम्युनिस्ट का चैंपियन है।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में इन दोनों दलों की विश्वसनीयता समाप्त हो चुकी है। इसका कारण यह है कि केरल में ये एक-दूसरे का गला दबा रहे हैं, जबकि दिल्ली में गले मिल रहे हैं। इनका यह व्यवहार राजनीतिक पाखंड है, जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता। अपने राजनीतिक कार्यकलापों से इन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि इनका जनता के हितों से कोई संबंध नहीं है। ये केवल अपने राजनीतिक स्वार्थों के बारे में सोचते हैं। अब ये दोनों ही एक्सपोज हो चुके हैं।
महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद को निंदनीय बताते हुए नकवी ने कहा कि इससे भाषा की शालीनता को नुकसान पहुंचा है। कुछ लोग भाषा की शालीनता को नजरअंदाज कर रहे हैं। इस विवाद से कुछ भी हासिल नहीं होगा। इस देश में हर भाषा का सम्मान किया जाता है।
मतदाता पुनरीक्षण को आवश्यक बताते हुए भाजपा नेता ने कहा कि फर्जी मतदाताओं के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। यह जरूरी है कि अवैध रूप से रहने वाले लोगों की पहचान हो। दुर्भाग्य की बात है कि जब उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है, कुछ लोगों को समस्या हो रही है। मैं फिर कहता हूं कि जो वैध मतदाता हैं, उनकी सुरक्षा होनी चाहिए और अवैध मतदाताओं की समीक्षा होनी चाहिए। लेकिन कुछ लोग इसमें सांप्रदायिकता का तड़का लगाने की कोशिश कर रहे हैं।