क्या एआईसीसी मुख्यालय में सीडब्ल्यूसी की बैठक चल रही है जिसमें सीएम सिद्धारमैया और शशि थरूर उपस्थित हैं?
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में प्रमुख नेताओं की उपस्थिति।
- देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
- वीबी जी-राम-जी एक्ट के खिलाफ आंदोलन की योजना।
- दलित नेतृत्व की मांग को लेकर प्रदर्शन।
- महात्मा गांधी का नाम मनरेगा से हटाने का विरोध।
नई दिल्ली, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को नई दिल्ली के इंदिरा भवन में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के मुख्यालय में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक की अध्यक्षता की।
इस उच्चस्तरीय बैठक में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी की चेयरपर्सन सोनिया गांधी और कई प्रमुख नेता उपस्थित हैं।
कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, हरीश रावत, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, पूर्व सांसद सलमान खुर्शीद, सांसद अभिषेक मनु सिंघवी और राजीव शुक्ला जैसे प्रमुख नेता इस बैठक में शामिल हैं।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर को भी बैठक में उपस्थित देखा गया।
कांग्रेस नेता हरीश रावत ने बैठक को अत्यंत आवश्यक बताया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि कोई भी यह सोच नहीं सकता कि महात्मा गांधी का नाम मनरेगा से हटाया जा सकता है। यह एक पूरी तरह से नामंजूर किया गया फैसला है।
कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी।
सूत्रों के अनुसार, सीडब्ल्यूसी में वीबी जी-राम-जी एक्ट के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन की पार्टी की रणनीति पर चर्चा होने की संभावना है। इसके अलावा, नेशनल हेराल्ड केस, अरावली क्षेत्र से जुड़े मुद्दे और अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर भी चर्चा होगी।
इस बीच, सीडब्ल्यूसी की आवश्यक बातचीत के बीच, दिल्ली में एआईसीसी मुख्यालय के बाहर लगभग एक दर्जन प्रदर्शनकारियों का एक समूह इकट्ठा हुआ, जो कर्नाटक के मौजूदा होम मिनिस्टर जी परमेश्वर को राज्य का अगला चीफ मिनिस्टर बनाने की मांग कर रहा था।
प्रदर्शनकारियों ने कांग्रेस हाईकमान का ध्यान आकर्षित करने के लिए नारे लगाए और पोस्टर दिखाए। पोस्टरों में दलित लीडरशिप को आगे बढ़ाने की मांग की गई थी। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि कर्नाटक में दलित मुख्यमंत्री को आगे लाने का समय आ गया है।