क्या कांग्रेस नेता राकेश सिन्हा का दावा सही है, अब एनडीए के लोग उठा रहे सवाल, कैसे बदल सकते हैं ‘मनरेगा’ का नाम?
सारांश
Key Takeaways
- महात्मा गांधी का नाम मनरेगा से जुड़ा है।
- सत्तापक्ष में भी विरोधी आवाजें उठने लगी हैं।
- इस मुद्दे पर स्थायी समिति में चर्चा होनी चाहिए।
रांची, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस नेता राकेश सिन्हा ने आरोप लगाया कि ‘मनरेगा’ का नाम बदलने के मुद्दे पर अब केवल कांग्रेस ही नहीं, बल्कि सत्ता पक्ष के व्यक्तियों से भी विरोधी आवाजें उठ रही हैं। सभी के मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि आप ‘मनरेगा’ का नाम कैसे बदल सकते हैं, जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ा हुआ है। ऐसे में इसे बदलने का कोई औचित्य नहीं है।
उन्होंने गुरुवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि महात्मा गांधी ने हमेशा श्रमिकों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई। श्रमिकों के हित के लिए बनाई गई मनरेगा योजना का नाम भी महात्मा गांधी से जुड़ा है, लेकिन केंद्र सरकार ने नाम बदलने का निर्णय लिया है, जिसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
राकेश सिन्हा ने कहा कि आप गांधी के देश में उनकी योजना का नाम कैसे बदल सकते हैं? यह बेहद निंदनीय है। हम मांग करते हैं कि इस मुद्दे को स्थायी समिति के पास भेजा जाए, ताकि हम सार्थक नतीजे पर पहुँचे। गांधी के नाम से जुड़ी योजनाओं में किसी भी प्रकार का परिवर्तन स्वीकार नहीं किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि मंडी से भाजपा की सांसद ने कहा था कि 'रघुपति राघव राजा राम' को राष्ट्रीय गीत होना चाहिए। जब सांसद इस तरह के बयानों पर उतर आते हैं, तो क्या चर्चा की कोई संभावना रह जाती है? भाजपा में बुद्धिजीवी वर्ग की कमी नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि हमें श्रीराम के नाम से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि गांधी के देश में उन्हें क्यों नहीं मानते? राम जी सभी के अराध्य हैं। वे 140 करोड़ लोगों के आदर्श हैं।
उन्होंने दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति पर चिंता जताई और केंद्र सरकार से सवाल किया। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों से केंद्र में आपकी सरकार है, लेकिन प्रदूषण से निपटने के लिए आपने क्या कदम उठाए हैं? सच्चाई यह है कि पिछले वर्षों में केंद्र सरकार ने कुछ नहीं किया।
राकेश सिन्हा ने यह भी कहा कि आज देश में बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार हैं, रुपया गिर रहा है, लेकिन केंद्र सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ये लोग केवल जांच एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए कर रहे हैं।