क्या कांग्रेस ने सीबीआई, चुनाव आयोग और यूपीएससी पर कब्जा किया था? राहुल गांधी पर निशिकांत दुबे का पलटवार
सारांश
Key Takeaways
- आरएसएस पर कांग्रेस के आरोप
- भाजपा का जवाब
- संस्थाओं की स्वायत्तता
- चुनाव सुधार की आवश्यकता
- राजनीतिक संवाद का महत्व
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को चुनाव सुधार पर चर्चा चल रही है। नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में आरएसएस पर आरोप लगाया कि उसने देश की सभी संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है। राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने दिया।
लोकसभा में राहुल गांधी को जवाब देते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि उन्हें आरएसएस से जुड़ने पर गर्व है। उन्होंने कहा, "मैं आरएसएस का सदस्य हूं और मुझे इस पर गर्व है।"
निशिकांत दुबे ने राहुल के भाषण पर तंज करते हुए कहा, "आए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास। खोदा पहाड़, निकली चुहिया। यही कांग्रेस है जो शहीदों की चिताओं पर खड़ी हुई, वही कांग्रेस जिसने भारत को बांट दिया। आज, राहुल गांधी के बयानों के बाद, मैं उन्हें कांपते और कन्फ्यूज होते देख सकता हूं। अचानक वे संविधान की बात करने लगे। मैंने 1976 की पूरी बहस लायी है, जिसमें दिखता है कि कांग्रेस ने संविधान को कैसे नष्ट किया, उनके पास इसका कोई जवाब नहीं है।"
कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए दुबे ने कहा कि अपने शासन में एक संशोधन के माध्यम से राष्ट्रपति को कांग्रेस ने एक रबर स्टांप बना दिया था। राष्ट्रपति का पद समाप्त हो गया। इंदिरा गांधी ने प्रेस की स्वतंत्रता खत्म की और अपने पसंदीदा को देश का सीजेआई बना दिया। कांग्रेस का कार्यकर्ता यूपीएससी का चेयरमैन बना रहा। इस देश के पहले चुनाव कमिश्नर को सूडान का एंबेस्डर बना दिया गया। टीएन शेषन को भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार बना दिया गया। कांग्रेस ने अश्विनी कुमार और रंजीत सिन्हा जैसे अधिकारियों को सीबीआई का निदेशक बना दिया।
कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए दुबे ने कहा कि वे ईवीएम की बात करते हैं। वास्तव में, ईवीएम को देश में कांग्रेस ने ही पेश किया था। 1961 और 1971 में कहा गया था कि एसआईआर आवश्यक है और 1971 में कहा गया कि ईवीएम आवश्यक है। अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी भी इसके सदस्य थे। उन्होंने बूथ के हिसाब से गणना का समर्थन किया, जिसका विरोध किया गया ताकि धांधली की जा सके।
दुबे ने आगे कहा कि पूरे देश में मुसलमानों की जनसंख्या 4 फीसदी बढ़ी है। लेकिन, बंगाल के 24 परगना में 14 फीसदी मुस्लिम कैसे बढ़ गए, इसका जवाब कौन देगा? ये आंकड़े 2011 के हैं।