क्या महाराष्ट्र कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने मौलाना साजिद रशीदी के डिंपल यादव पर बयान की निंदा की?

सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं पर टिप्पणी करना गलत है।
- समाज में एकता की आवश्यकता है।
- धर्म के आधार पर विभाजन से बचना चाहिए।
- मौलवी की टिप्पणियां समुदाय को प्रभावित करती हैं।
- सभी को एक समान नागरिक के रूप में देखना चाहिए।
मुंबई, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद हुसैन दलवई ने ऑल इंडिया प्रीमियम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी द्वारा सपा सांसद डिंपल यादव पर दिए गए बयान की कड़ी निंदा की है। समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में दलवई ने कहा कि इस प्रकार की टिप्पणी न केवल अनुचित है, बल्कि यह पूरे महिला समुदाय का अपमान भी है। उन्होंने मौलाना के बयान को "बेहूदा" करार देते हुए कहा कि किसी के पहनावे, जीवनशैली या व्यक्तिगत विशेषताओं पर टिप्पणी करना पूरी तरह गलत है।
दलवई ने सवाल उठाया कि किसी को यह अधिकार किसने दिया कि वह किसी के कपड़े, दाढ़ी, टोपी या जीवनशैली पर टिप्पणी करे। उन्होंने कहा, "डिंपल यादव की पीठ कैसी थी, इस पर टिप्पणी करने की क्या जरूरत थी? यह उनकी नजर में खराबी को दर्शाता है।"
कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा कि डिंपल यादव का चरित्र सम्मानजनक है और उनका बहुत आदर करते हैं। उन्होंने मौलाना की टिप्पणी को महिलाओं के प्रति असंवेदनशील बताते हुए कहा कि ऐसी टिप्पणियां मुस्लिम समाज को बदनाम करती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि कुछ मौलवी और लोग हर समय धर्म के आधार पर समाज में दरार पैदा करने का काम करते हैं, जो गलत है। समाज में हिंदू-मुसलमान के बजाय सभी को एक नागरिक के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा, "हम दोनों इस देश के नागरिक हैं, और रिश्ते इसी आधार पर होने चाहिए।" उनका मानना है कि ऐसी टिप्पणियां न केवल सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि यह आरएसएस जैसे संगठनों को भी मजबूत करती हैं।
दलवई ने मांग की कि मौलाना साजिद रशीदी के खिलाफ शिकायत दर्ज होनी चाहिए, क्योंकि ऐसी टिप्पणियां मुस्लिम समाज को बदनाम करती हैं। उन्होंने कहा कि सभी मौलवी ऐसा नहीं करते, कई मौलवी समाज के लिए अच्छा काम करते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसी हरकतों से पूरे समुदाय को बदनाम करते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई पुरुष इस तरह से महिलाओं पर टिप्पणी करता है, तो उसका चरित्र भी संदिग्ध माना जाना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि लोग बुर्का पहनने वाली महिलाओं पर भी आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हैं, जो पूरी तरह गलत है।