क्या दीपावली के बाद दिल्ली की हवा 'गंभीर' हो गई है?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली की हवा 'गंभीर' स्थिति में पहुंच गई है।
- वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार हो गया है।
- आतिशबाजी से प्रदूषण में वृद्धि हुई है।
- स्थिर हवाएं और तापमान में गिरावट प्रदूषण के मुख्य कारण हैं।
- ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान लागू किया गया है।
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दीपावली के उत्सव के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर 'बेहद खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में चली गई है। पटाखों और मौसम संबंधी कारकों के चलते दिल्ली के कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एयूआई) 400 के आंकड़े को पार कर चुका है, जिससे लोगों के लिए सांस लेना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
सोमवार की रात दीपावली पर बड़े पैमाने पर पटाखे फोड़े जाने के बाद मंगलवार सुबह 8 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के आंकड़े को पार कर गया, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में आता है।
दिल्ली के लिए सबसे चिंताजनक बात यह है कि दीपावली की रात पूरे एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद खतरनाक स्तर पर था। रात करीब 11:00 बजे दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 596 तक पहुंच गया। वहीं, मंगलवार सुबह दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 पार कर गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दीपावली की रात की भारी आतिशबाजी के चलते दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो गया है।
दिल्ली एनसीआर में मंगलवार को प्रदूषण में कोई राहत नहीं मिलने की संभावना है। यहां का तापमान 31 और न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है। इसके अलावा, मंगलवार सुबह दिल्ली एनसीआर में हल्का कोहरा भी देखा गया, लेकिन दोपहर बाद मौसम शुष्क हो जाएगा और हल्की धूप निकलने की उम्मीद है।
मौसम विभाग (आईएमडी) और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान की भविष्यवाणियों के अनुसार, अगले दो दिनों में हवा की गुणवत्ता और बिगड़ सकती है। स्थिर हवाएं, तापमान में गिरावट और स्थानीय प्रदूषण इसके मुख्य कारण बताए जा रहे हैं।
स्थिति को देखते हुए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) के दूसरे चरण को तत्काल प्रभाव से लागू किया है। इसके तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को सख्त निगरानी और कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
आईएमडी ने स्पष्ट किया है कि स्थिति पर करीब से नज़र रखी जा रही है और प्रदूषण नियंत्रण के लिए नियमित समीक्षा बैठकें होंगी। पराली जलाना और वाहनों से निकलने वाला धुआं इस प्रदूषण संकट को और बढ़ा रहे हैं, जिससे सर्दियों में स्मॉग की समस्या से निपटने के लिए क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता और भी अधिक बढ़ गई है।