क्या देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे की मुलाकात स्वाभाविक है?: आनंद दुबे

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क्या देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे की मुलाकात स्वाभाविक है?: आनंद दुबे

सारांश

क्या मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुलाकात वास्तव में राजनीति की स्वाभाविक प्रक्रिया है? आनंद दुबे के विचारों में छिपे हैं कई महत्वपूर्ण मुद्दे। जानिए इस मुलाकात की राजनीतिक पृष्ठभूमि और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।

Key Takeaways

  • देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे की मुलाकात को स्वाभाविक माना गया।
  • राजनीति में मतभेद होना सामान्य है, परंतु यह व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं होनी चाहिए।
  • भाजपा और आरएसएस के संबंधों पर सवाल उठाए गए।
  • बिहार में भाजपा की स्थिति पर भी चिंता जताई गई।
  • शिवसेना की असली पहचान पर जोर दिया गया।

मुंबई, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुलाकात को राजनीति की स्वाभाविक प्रक्रिया बताया। उन्होंने कहा कि दोनों नेता पुराने मित्र हैं और वर्षों तक एकसाथ काम कर चुके हैं।

आनंद दुबे के अनुसार, मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री का मिलना राजनीति की स्वाभाविक प्रक्रिया है। देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे पुराने मित्र हैं, वर्षों साथ काम किया है। राजनीति में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन वैचारिक मतभेद का मतलब व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं होता। यही तो राजनीतिक शुचिता है, जो भाजपा को समझनी चाहिए। देवेंद्र फडणवीस बड़े नेता हैं, उनका ऑफर स्वागत योग्य है, मगर जब तक एकनाथ शिंदे की नकली शिवसेना उनके साथ है, तब तक हम वह प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेंगे। नकली शिवसेना दूर हो तो विचार कर सकते हैं।

आनंद दुबे ने राहुल गांधी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर कटाक्ष को उनकी निजी और राजनीतिक लड़ाई बताया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी हमेशा से आरएसएस पर कटाक्ष करते रहे हैं, यह उनकी निजी और राजनीतिक लड़ाई है। हमारे लिए आरएसएस एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है, जो बीजेपी को पर्दे के पीछे से मदद करता है। हमने भी वर्षों उनके साथ काम किया है। बीजेपी आरएसएस को कितनी गंभीरता से लेती है, यह उनसे पूछना चाहिए। मोहन भागवत के बयानों पर बीजेपी अमल करती नहीं और जेपी नड्डा कहते हैं कि आरएसएस की जरूरत नहीं, तब सवाल नहीं उठते। हम तो आरएसएस के सामाजिक योगदान की सराहना करते हैं।

बिहार के राजनीतिक परिदृश्य पर टिप्पणी करते हुए आनंद दुबे ने भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी एक्टिव मोड में आ गई है और चुनाव आयोग भी उनके साथ दिखाई दे रहा है। डबल इंजन सरकार के बावजूद बीजेपी ने जनता के लिए कुछ नहीं किया, सिर्फ जुमलेबाजी और झूठ बोला। बिहार में माफिया राज, गोलीबारी, असुरक्षा और बेरोजगारी से जनता त्रस्त है। वहां से लगातार पलायन हो रहा है और विकास नाम की कोई चीज नहीं दिखती। ऐसे माहौल में अगर बीजेपी कोई अभियान चला रही है तो उन्हें मुबारक हो, मगर उनकी बुद्धि पर हमें तरस आता है।

आनंद दुबे ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के मराठी मानुष पर आपत्तिजनक बयान की निंदा की। उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे ने मराठी मानुष के योगदान को नकारते हुए आपत्तिजनक बयान दिया, जिसकी प्रतिक्रिया में राज ठाकरे ने भी तीखी टिप्पणी की। राज ठाकरे ने सिर्फ निशिकांत दुबे को जवाब दिया, हिंदी भाषी समाज को नहीं। मुंबई में मराठी व हिंदी भाषी लोग सदैव मिलकर रहते हैं। ऐसे बयानों से कोई फर्क नहीं पड़ता, परंतु दोनों तरफ से बयानबाजी नहीं होनी चाहिए। राजनीति में शुचिता बनी रहे, जैसे उद्धव ठाकरे सभी जाति-धर्म और भाषाओं का सम्मान करते हैं, वैसे ही भाजपा से भी यही अपेक्षा है।

उन्होंने कहा, "बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना बनाई और उद्धव ठाकरे ने इसे आगे बढ़ाया। फिर भी आयोग ने इसे एकनाथ शिंदे की पार्टी मान लिया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। पार्टी कार्यकर्ताओं से बनती है, न कि सिर्फ विधायकों से। असली शिवसेना आज भी उद्धव ठाकरे के साथ है। कुछ बिकाऊ लोगों के चले जाने से शिवसेना कमजोर नहीं होती। मामला कोर्ट में है और हमें न्याय की उम्मीद है।

Point of View

परंतु यह व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं होनी चाहिए। राजनीतिक शुचिता बनाए रखना आवश्यक है। इस दृष्टिकोण से, नेताओं की मुलाकातों और विचार-विमर्श को सकारात्मक रूप में देखना चाहिए।
NationPress
19/07/2025

Frequently Asked Questions

उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस के बीच मुलाकात का उद्देश्य क्या था?
यह मुलाकात राजनीतिक संवाद और संबंध सुधारने का एक प्रयास हो सकता है।
आनंद दुबे ने इस मुलाकात पर क्या टिप्पणी की?
आनंद दुबे ने इसे राजनीति की स्वाभाविक प्रक्रिया बताया और दोनों नेताओं के पुराने मित्रता का उल्लेख किया।