क्या धार्मिक आयोजन पूरी तरह परंपराओं के अनुसार होने चाहिए? : विनोद बंसल

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क्या धार्मिक आयोजन पूरी तरह परंपराओं के अनुसार होने चाहिए? : विनोद बंसल

सारांश

नवरात्रि पर्व के आगमन पर विनोद बंसल ने धार्मिक आयोजनों में आस्था और भक्ति के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आयोजनों में भाग लेने वालों को भारत माता का सम्मान करना चाहिए। क्या यह सही है कि धार्मिक आयोजनों में केवल सच्चे भक्त ही शामिल हों?

Key Takeaways

  • धार्मिक आयोजन परंपराओं के अनुसार होने चाहिए।
  • केवल सच्चे भक्त को शामिल होना चाहिए।
  • आयोजक आईडी की जांच करें।
  • रामलीला का उद्देश्य मनोरंजन नहीं, बल्कि शिक्षा है।
  • भगवद गीता का पाठ बच्चों के लिए लाभकारी है।

नई दिल्ली, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिन्दू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने आगामी नवरात्रि पर्व को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। 22 सितंबर से आरंभ हो रहे इस पर्व के संदर्भ में, उन्होंने जोर देकर कहा है कि धार्मिक आयोजन पूर्णतः शुद्ध परंपराओं के अनुसार होने चाहिए।

राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि इन आयोजनों में केवल उन्हीं लोगों को शामिल होना चाहिए जिनकी गहरी आस्था और सच्ची भक्ति है। जो लोग भारत को अपनी मातृभूमि नहीं मानते या भारत माता का सम्मान नहीं करते, उन्हें ऐसे धार्मिक आयोजनों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

विनोद बंसल ने कहा कि आयोजकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक भक्ति पर केंद्रित रहें, न कि मनोरंजन मंच या किसी अन्य एजेंडे में परिवर्तित हों। यह आवश्यक है कि आयोजक प्रतिभागियों की आस्था और भक्ति की पुष्टि करें।

बंसल ने पिछले वर्षों की घटनाओं 'लव जिहाद' या अनुचित व्यवहार का हवाला देते हुए, आयोजकों से हर प्रतिभागी का टीका लगाकर स्वागत करने और आईडी जैसे आधार कार्ड चेक करने की सलाह दी।

लवकुश रामलीला के आयोजन और इस पर एक किरदार को लेकर उठ रहे विवाद पर उन्होंने कहा कि रामलीला रामचरितमानस से जीवन की सीख लेने का माध्यम है, न कि मनोरंजन। इसलिए अभिनेता सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से उपयुक्त होने चाहिए।

उन्होंने कहा कि रामलीला कमेटी को अपनी सोच पर पुनर्विचार करना चाहिए। जो लोग रामलीला देखने आते हैं, वे मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि रामचरितमानस से जीवन की सीख लेने आते हैं। इसलिए नाटक के अभिनेता सही होने चाहिए।

उन्होंने कहा कि रामलीला कोई साधारण मंचीय कार्यक्रम या महज नाट्य प्रस्तुति नहीं है; यह लोगों की धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का एक भव्य प्रकटीकरण है। रामलीला का प्रभाव इसके पात्रों को निभाने वाले कलाकारों और उनके अभिनय की शुद्धता पर निर्भर करता है, जो यह निर्धारित करता है कि दर्शक इसे कितना सराहते हैं और अपनाते हैं। अगर इस तरह के चरित्र को किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा चित्रित किया जाता है जिसमें अपेक्षित गरिमा, नैतिक अखंडता और प्रामाणिकता का अभाव है, तो दर्शक उस दुनिया से जुड़ नहीं पाएंगे या उसे अपना नहीं पाएंगे।

ओडिशा के स्कूलों में भगवद गीता पाठ के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल सही प्रस्ताव है। हम इसका समर्थन करते हैं। गीता का पाठ होना चाहिए। इससे बच्चों के जीवन में काफी बदलाव आएगा।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम धार्मिक आयोजनों के प्रति सम्मान और आस्था को बनाए रखें। विनोद बंसल का दृष्टिकोण इस बात का स्पष्ट संकेत है कि हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करने की आवश्यकता है।
NationPress
21/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या नवरात्रि पर्व में सभी को भाग लेना चाहिए?
विनोद बंसल के अनुसार, केवल उन्हीं लोगों को भाग लेना चाहिए जिनकी गहरी आस्था और भक्ति हो।
रामलीला के आयोजन में क्या महत्वपूर्ण है?
रामलीला केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन की सीख लेने का माध्यम है।
क्या ओडिशा में गीता का पाठ सही है?
विनोद बंसल ने इसे सही बताया है और इसका समर्थन किया है।
धार्मिक आयोजनों में भक्ति का क्या महत्व है?
आयोजनों में भक्ति और आस्था का होना अनिवार्य है।
क्या आयोजकों को पहचान पत्र चेक करना चाहिए?
हां, बंसल के अनुसार, आयोजकों को पहचान पत्र चेक करना चाहिए।