क्या कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. शकील अहमद ने पार्टी छोड़ी?
सारांश
Key Takeaways
- डॉ. शकील अहमद ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया।
- उन्होंने पारिवारिक कारणों का हवाला दिया।
- उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं हो रहे हैं।
- उनके इस्तीफे के पीछे पार्टी के नेताओं के साथ मतभेद भी एक कारण है।
- उन्हें कांग्रेस की नीतियों पर विश्वास है।
नई दिल्ली, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के मतदान के बाद कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. शकील अहमद ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
डॉ. शकील अहमद ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है। पत्र में उन्होंने कुछ पारिवारिक कारणों का उल्लेख किया है। इसके अलावा, उन्होंने पार्टी के कुछ नेताओं के साथ मतभेदों का भी जिक्र किया है। पत्र में उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि वे किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं हो रहे हैं।
पत्र में उन्होंने लिखा है कि उनके 16 अप्रैल, 2023 के पत्र को याद करें, जिसमें उन्होंने पार्टी को सूचित किया था कि वे भविष्य में कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे। हाल ही में, उन्होंने यह भी कहा कि उनके तीनों पुत्र कनाडा में रहते हैं और उनमें से किसी को भी राजनीति में रुचि नहीं है, इसलिए वे भी चुनाव नहीं लड़ेंगे।
डॉ. शकील अहमद ने कहा कि उनके पूर्वजों की तरह, उन्हें भी कांग्रेस की नीतियों और सिद्धांतों में अटूट विश्वास है। वे जीवन भर कांग्रेस की नीतियों और सिद्धांतों के शुभचिंतक और समर्थक बने रहेंगे तथा उनके जीवन का अंतिम वोट भी कांग्रेस के पक्ष में ही पड़ेगा।
उन्होंने अपने दादा और पिता की कांग्रेस से जुड़ी राजनीतिक यात्रा की चर्चा की है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पार्टी की सदस्यता त्यागने का निर्णय पहले ही ले लिया था।
उन्होंने बताया कि उनके दादा स्व. अहमद गफूर 1937 में कांग्रेस के विधायक चुने गए थे। 1948 में उनकी मृत्यु के बाद, उनके पिता शकूर अहमद 1952 से 1977 के बीच पाँच बार कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए। वे स्वास्थ्य कारणों से चुनाव प्रचार में शामिल नहीं हो सके। उन्हें उम्मीद है कि इस बार कांग्रेस की सीटें बढ़ेंगी और उनके गठबंधन की सरकार मजबूत बनेगी।
डॉ. शकील अहमद ने कहा कि उन्होंने पार्टी की सदस्यता त्यागने का फैसला पहले ही कर लिया था, लेकिन बिहार में मतदान समाप्त होने के बाद इसे लागू कर रहे हैं, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि मतदान से पहले कोई गलत संदेश जाए और उनकी वजह से पार्टी को कोई नुकसान हो। कृपया उनके इस पत्र को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा माना जाए।