क्या डूसू चुनाव में दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का सपना पूरा होगा? : अध्यक्ष उम्मीदवार अंजलि

सारांश
Key Takeaways
- छात्रसंघ चुनाव में महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया गया है।
- शिक्षा का स्तर और सुविधाएं छात्रों के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए।
- छात्रों को सुलभ और किफायती शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए।
- हॉस्टल की कमी एक गंभीर समस्या है।
- बढ़ती फीस छात्रों के लिए चिंता का विषय है।
नई दिल्ली, १३ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव के लिए १८ सितंबर को मतदान और १९ सितंबर को मतगणना होगी। इस चुनाव हेतु स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने शनिवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया है। आइसा और एसएफआई के उम्मीदवारों ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला।
आइसा-एसएफआई की अध्यक्ष उम्मीदवार अंजलि ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि हम सभी जानते हैं कि हजारों करोड़ स्टूडेंट्स का ड्रीम दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करना है। इसलिए हम यहां एक सपना लेकर आते हैं कि यहाँ से निकलने के बाद हमारी जिंदगी बदल जाएगी। पिछले ४ वर्षों से यहाँ ४ ईयर अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम लागू है। यहाँ पर छात्र हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस, और इकोनॉमिक्स पढ़ने आए हैं, लेकिन उन्हें कौशल विकास के नाम पर योग, स्वच्छ भारत, फिट इंडिया, और वैदिक मैथ्स जैसे कोर्सेज पढ़ाए जा रहे हैं। इसके द्वारा मार्केट के लिए लेबर तैयार किया जा रहा है। देश के प्रीमियर इंस्टीट्यूशन से पढ़ाई के बाद यदि ऐसी नौकरी मिले, तो हम इस कोर्स के डायल्यूशन को सहन नहीं करेंगे।
उपाध्यक्ष उम्मीदवार सोहन के. यादव ने कहा कि मैं खुद एक माइग्रेंट स्टूडेंट हूं। मैं बिहार से आकर पढ़ाई कर रहा हूं। यहाँ ५ प्रतिशत से भी कम छात्रों को हॉस्टल मिलता है और हम जैसे छात्रों को बाहर रेंट देना पड़ता है। जो छात्र पीजी में रहते हैं, उन्हें क्वालिटी फूड तक नहीं मिल रहा है, और जो गरीब तबके के छात्र हैं, उनके लिए हॉस्टल नहीं है। इसके कारण लोग ड्रॉप आउट कर लेते हैं या पढ़ाई छोड़ देते हैं। हम चाहते हैं कि हॉस्टल हो और हर छात्र विद्यालय में पढ़ सके। चुनाव जीतने के बाद हम इन मुद्दों को हल करेंगे।
संयुक्त सचिव पद के लिए आइसा/एसएफआई के उम्मीदवार अभिषेक कुमार ने कहा कि यदि हम अपने मेनिफेस्टो को एक लाइन में कहें तो शिक्षा अफॉर्डेबल होनी चाहिए। जो छात्र यहाँ पढ़ने आए हैं उन्हें अच्छा शिक्षा मिलनी चाहिए, लेकिन उन्हें बोगस कोर्सेज पढ़ाए जा रहे हैं। एक छात्र को यहाँ आने पर अकादमी की फीस चुकानी पड़ती है, और यह लगातार बढ़ती जा रही है। साथ ही, अन्य खर्चों का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। हमने प्लांट कंट्रोल एक्ट, मेट्रो कंसेशन पैसेज की मांग रखी है।
सचिव प्रत्याशी अभिनंदना ने कहा कि यूनिवर्सिटी में सुलभ और किफायती शिक्षा होनी चाहिए। अगर दिल्ली यूनिवर्सिटी ने लोन लिया है तो उसे खुद चुकाना चाहिए, छात्रों से नहीं। मैं असम से हूँ और अपने परिवार की फर्स्ट जनरेशन लर्नर हूं। मेरे पास स्कॉलरशिप है, अन्यथा मैं कभी नहीं सोच सकती थी कि मैं हिंदू कॉलेज में पढ़ सकती। लेकिन अब छात्र फीस बढ़ोतरी को सहन नहीं कर पा रहे हैं, और कॉलेज के अंदर बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। मुझे यहाँ हॉस्टल नहीं मिला।