क्या एक व्यक्ति, एक वोट, एक मूल्य पर अडिग रहना सच में संभव है?: अर्जुन राम मेघवाल
सारांश
Key Takeaways
- एक व्यक्ति, एक वोट का सिद्धांत हमारे लोकतंत्र का आधार है।
- चुनाव आयोग का कार्य मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाना है।
- विपक्ष के आरोपों के पीछे चुनावी हार का डर है।
- डॉ. आंबेडकर के समय से ही चुनावों में धांधली का इतिहास रहा है।
- लोकतंत्र की मजबूती के लिए सभी पक्षों का सम्मान आवश्यक है।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान विधि एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि समानता एसआईआर का मूल सिद्धांत है। एक वोट केवल एक व्यक्ति का होना चाहिए। यही एसआईआर को लागू करने का मूल विचार है।
लोकसभा में चर्चा के दौरान अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के आरोपों का कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और चुनाव आयोग एक व्यक्ति, एक वोट, एक मूल्य के सिद्धांत पर पूरी तरह कायम हैं। देश में एसआईआर कोई नई प्रक्रिया नहीं है। पहले भी एसआईआर हो चुका है; केवल पिछले कुछ दशकों में इसे नहीं किया गया था।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और लोकतंत्र की जननी है। हमारे यहां चुनाव को महापर्व के रूप में मनाया जाता है और जनता मतदान के जरिए अपने प्रतिनिधि चुनती है। संविधान निर्माताओं ने चुनाव आयोग को एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्था के रूप में स्थापित किया था। चुनाव आयोग समय-समय पर मतदाता सूची में संशोधन का काम करता रहा है; यह काम कांग्रेस शासनकाल में भी होता रहा था। आज जो हो रहा है, वह कोई नया नहीं है। एसआईआर का एकमात्र उद्देश्य मतदाता सूची को स्वच्छ, अद्यतन और त्रुटिरहित बनाए रखना है। इसलिए विपक्ष द्वारा एसआईआर को लेकर उठाए जा रहे सवाल पूरी तरह निराधार और तथ्यों से परे हैं।
उन्होंने विपक्ष पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि असल में चुनावी हार से बौखलाए हुए लोग ही ईवीएम और अब एसआईआर पर ऊंगली उठा रहे हैं। उन्हें हर जगह कमी नजर आती है, सिवाय अपनी पार्टी और अपनी कार्यशैली के। यही कारण है कि जनता ने इन्हें पूरी तरह नकार दिया है। कांग्रेस और उसके नेता हम पर चुनाव सुधारों के नाम पर आरोप लगाते हैं, लेकिन सच यह है कि आजादी के बाद से इनकी परिवारवादी सोच इतनी हावी रही कि ये वोट चोरी के काले कारनामों से कभी बाज नहीं आए।
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के पहले चुनाव में भी यही हुआ था। उस चुनाव में बाबासाहब की हार कराने के लिए भारी संख्या में उनके पक्ष के वोटों को अवैध घोषित कर दिया गया था। जब बाबासाहब ने चुनाव आयोग में याचिका दायर की तो कांग्रेस के लोगों ने साफ कह दिया कि उनकी नहीं सुननी है। मेघवाल ने आगे कहा कि राहुल गांधी जी संसद में संविधान की किताब जरूर लेकर आते हैं, लेकिन अफसोस यह है कि उसमें लिखा क्या है, वो पढ़ते नहीं हैं।
इससे पहले, नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में चर्चा के दौरान भाजपा सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए थे। साथ ही, उन्होंने यह भी दावा किया कि मैं जो कुछ भी कह रहा हूं, उसके मेरे पास सबूत हैं। भाजपा लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर रही है। सीजेआई को सीईसी की नियुक्ति प्रक्रिया से हटाया गया। 2023 में नियम बदलकर यह प्रावधान किया गया कि किसी भी चुनाव आयुक्त को दंडित नहीं किया जा सकता। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ऐसा किया गया। सीसीटीवी और डेटा को लेकर भी नियम बदले गए।