क्या बिहार चुनाव में फुलवारी विधानसभा सीट का समीकरण हर बार बदलता है?

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क्या बिहार चुनाव में फुलवारी विधानसभा सीट का समीकरण हर बार बदलता है?

सारांश

फुलवारी विधानसभा सीट का सियासी इतिहास बेहद दिलचस्प है। यहां पर हर चुनाव में समीकरण बदलते हैं, जिससे यह सीट बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण बन जाती है। जानें इस सीट के अनूठे पहलू और राजनीतिक सफर के बारे में।

Key Takeaways

  • फुलवारी विधानसभा सीट बिहार की महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है।
  • यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
  • राजद और जदयू ने यहां कई बार जीत दर्ज की है।
  • 2020 में सीपीआई(माले) ने इस सीट पर कब्जा किया।
  • राजनीति में श्याम रजक की उपस्थिति महत्वपूर्ण है।

पटना, 25 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की राजधानी पटना के निकट स्थित फुलवारी विधानसभा सीट एक ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, लेकिन इसकी राजनीतिक महत्ता किसी भी तूफानी समंदर से कम नहीं है।

यह सीट पटना जिले का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र का अंग है। यहां के चुनावी परिणाम अक्सर यह निर्धारित करते हैं कि पटना की राजनीति किस दिशा में जाएगी।

फुलवारी विधानसभा का अस्तित्व 1977 से है और तब से यहां 12 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इस सीट की राजनीतिक यात्रा बेहद दिलचस्प रही है। प्रारंभिक दौर में कांग्रेस ने यहां तीन बार जीत हासिल की, लेकिन इसके बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने चार बार चुनाव जीते।

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने भी यहां दो बार जीत दर्ज की है। इस सीट का इतिहास श्याम रजक के नाम के बिना अधूरा है, जो यहां से छह बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने जनता दल के टिकट पर एक बार, राजद के टिकट पर तीन बार और जदयू के टिकट पर दो बार जीत हासिल की।

हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव ने इस सीट की कहानी में एक बड़ा ट्विस्ट ला दिया था। यह सीट तब महागठबंधन के सहयोगी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (लिब्रेशन) यानी सीपीआई(एमएल) के खाते में चली गई।

सीपीआई (माले-लिबरेशन) के उम्मीदवार गोपाल रविदास ने जदयू के नेता अरुण मांझी को बड़े अंतर से हराया। गोपाल रविदास को 91,124 वोट मिले, जबकि अरुण मांझी को 77,267 वोट पर संतोष करना पड़ा।

चूंकि यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, इसलिए दलित मतदाता यहां सबसे अधिक निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2020 के आंकड़ों के अनुसार, फुलवारी में 23.45 प्रतिशत अनुसूचित जातियों के वोटर्स थे, जिनमें पासवान और रविदास समुदाय प्रभावी हैं।

इसके अलावा, मुस्लिम मतदाता (14.9 प्रतिशत) और अन्य पिछड़ा वर्ग जैसे यादव और कुशवाहा-कोयरी भी चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, वाम दल (सीपीआई-माले) का कैडर वोट संगठित माना जाता है, जबकि यादव और मुस्लिम समुदाय का पारंपरिक झुकाव राजद की ओर रहता है। यह जटिल समीकरण ही फुलवारी में हर बार कांटे की टक्कर सुनिश्चित करता है।

एक ओर हैं श्याम रजक, जो राजद में लौट चुके हैं और इस सीट पर दावा ठोक रहे हैं। दूसरी ओर हैं गोपाल रविदास, जिन्होंने 2020 में यह सीट जीतकर माले के लिए झंडा गाड़ा।

फुलवारी विधानसभा क्षेत्र की बनावट इसे विशेष बनाती है। यह मुख्य रूप से दो बड़े हिस्सों (फुलवारी और पुनपुन) में बंटा हुआ है। पटना शहर से सटा होने के बावजूद, यह क्षेत्र ग्रामीण और अर्ध-शहरी जीवन का एक सुंदर मिश्रण है।

एक ओर पुनपुन है, जो पवित्र पुनपुन नदी के नाम से जाना जाता है और हिंदू धर्म में 'श्राद्ध' (पितृपक्ष) के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। वहीं, फुलवारी शरीफ का इतिहास इस्लामी शिक्षा और सूफी परंपरा के केंद्र के रूप में रहा है। दोनों ब्लॉकों के बीच सदियों से अलग सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान विद्यमान है।

यह पूरा क्षेत्र प्राचीन मगध साम्राज्य का हिस्सा रहा है, जो मौर्यों और गुप्तों के अधीन था, फिर दिल्ली सल्तनत और मुस्लिम शासकों के प्रभाव में आया।

Point of View

NationPress
25/10/2025

Frequently Asked Questions

फुलवारी विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास क्या है?
फुलवारी विधानसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई और तब से 12 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस, राजद, और जदयू ने यहां जीत हासिल की है।
2020 के विधानसभा चुनाव में किसने जीत हासिल की?
2020 में, सीपीआई(माले) के गोपाल रविदास ने जदयू के अरुण मांझी को हराया।
फुलवारी विधानसभा सीट के मतदाता समूह कौन हैं?
यहां के दलित, मुस्लिम, और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं।
श्याम रजक का इस सीट पर क्या महत्व है?
श्याम रजक यहां से छह बार विधायक रह चुके हैं और उनकी उपस्थिति इस सीट की राजनीति में महत्वपूर्ण है।
फुलवारी विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति क्या है?
फुलवारी मुख्य रूप से दो हिस्सों (फुलवारी और पुनपुन) में बटी हुई है, जो पटना शहर से सटकर स्थित है।