क्या गांधी परिवार ने बंगाली नेताओं को कभी सम्मान नहीं दिया?
सारांश
Key Takeaways
- गांधी परिवार पर आरोप और भाजपा का दृष्टिकोण
- वंदे मातरम् का महत्व
- राजनीतिक विवादों का समाज पर प्रभाव
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद का शीतकालीन सत्र वर्तमान में चल रहा है। सोमवार को लोकसभा में भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर एक विशेष चर्चा आयोजित की गई। इस अवसर पर, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं लोकसभा सांसद प्रियंका गांधी ने सत्ताधारी पार्टी पर यह आरोप लगाया कि उन्हें आजादी के 75 वर्षों के बाद वंदे मातरम् याद आया, जिस पर भाजपा सांसद सौमित्र खान ने कड़ा जवाब दिया।
भाजपा सांसद सौमित्र खान ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा, "गांधी परिवार ने हमारे नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कभी सम्मान नहीं दिया। जब संसद में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की चर्चा हो रही है, तब भी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया। प्रियंका गांधी और गांधी परिवार का मानना है कि केवल उनके परिवार के सदस्यों को ही सम्मान मिलना चाहिए। आज मैं एक बंगाली और भारतीय नागरिक के रूप में गर्व महसूस कर रहा हूँ।"
उन्होंने आगे कहा, "भाजपा ने जो काम किया है, वह पहले भी किया जा सकता था, लेकिन इसे करने में 150 वर्ष लग गए। इसका कारण यह था कि देश में पहले कांग्रेस की सरकार थी। आज भाजपा सरकार ने एक बंगाली को जो सम्मान दिया है, उसके लिए मैं गर्वित महसूस कर रहा हूँ।"
इससे पहले, जब लोकसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा हो रही थी, वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार वंदे मातरम् पर चर्चा इसलिए चाहती है क्योंकि बंगाल में चुनाव होने वाले हैं। उन्होंने यह प्रश्न उठाया कि जब देश आजाद है तो वंदे मातरम् पर चर्चा आज ही क्यों हो रही है?
संसद के शीतकालीन सत्र के आरंभ से पहले एक राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया था, जब राज्यसभा सचिवालय ने कहा था कि सांसदों को संसद के भीतर 'वंदे मातरम्' और 'जय हिंद' जैसे शब्दों का उपयोग करने से बचना चाहिए। विपक्ष ने भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए पर आरोप लगाया कि वे भारत के आजादी और एकता के प्रतीकों से असहज हैं।
मंगलवार को राज्यसभा में वंदे मातरम् पर विशेष चर्चा होगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं। संसद का शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर तक चलेगा और आगामी दिनों में वंदे मातरम् पर चर्चा में बहस होने की संभावना है, क्योंकि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच राष्ट्रगीत को लेकर विचार भिन्न हैं।
—राष्ट्र प्रेस
एससीएच/एएस