क्या गर्भावस्था में डायबिटीज मां और बच्चे के लिए चुनौती है? जानें बचाव के उपाय
सारांश
Key Takeaways
- गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
- लक्षणों पर ध्यान दें जैसे प्यास, पेशाब, और भूख में वृद्धि।
- सही डाइट और व्यायाम से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।
- यदि आवश्यक हो, तो इंसुलिन का उपयोग करें।
नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। गर्भावस्था एक ऐसा सुखद अनुभव है, जिसकी इच्छा हर लड़की करती है। इस समय महिलाओं को अनेक शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन का सामना करना पड़ता है। इस दौरान कुछ स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ भी उत्पन्न हो सकती हैं, जिनमें से एक है गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज.
गर्भावस्था में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। यह न केवल मां के लिए हानिकारक है, बल्कि भविष्य के बच्चे की सेहत पर भी बुरा प्रभाव डालता है। सीनियर मेडिकल ऑफिसर और गाइनेकोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक ने इस विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है।
उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में ब्लड शुगर लेवल अनियंत्रित होने से डायबिटीज का खतरा बढ़ता है, जो आमतौर पर गर्भावस्था के छठे या सातवें महीने में देखा जाता है। यदि इसे समय पर नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।
डॉ. पाठक ने गर्भवती महिलाओं को डायबिटीज के जोखिम के बारे में बताया, जैसे कि यदि उनकी उम्र 40 वर्ष से अधिक है, परिवार में किसी को डायबिटीज है, या ब्लड प्रेशर या हृदय रोग की समस्या है, तो उनके लिए डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि कुछ रिस्क फैक्टर पिछले गर्भधारण से भी संबंधित होते हैं। जैसे कि यदि पिछले गर्भधारण में डायबिटीज थी, बार-बार गर्भपात हुआ, या नवजात का वजन 4 किलो से अधिक या 2 किलो से कम था, तो मां को डायबिटीज होने का खतरा होता है।
डॉ. पाठक ने गर्भावस्था में डायबिटीज के लक्षणों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, "यदि आपको बार-बार प्यास लग रही है, पेशाब अधिक आ रहा है, भूख में वृद्धि हो रही है, वजन कम हो रहा है, और थकान महसूस हो रही है, तो यह डायबिटीज के संकेत हो सकते हैं।"
गर्भावस्था में डायबिटीज के संभावित खतरों जैसे कि उच्च ब्लड प्रेशर, गर्भपात, और संक्रमण के जोखिम के बारे में भी चर्चा की गई। डॉ. पाठक ने बचाव और नियंत्रण के उपाय भी बताए।
उन्होंने कहा, "डायबिटीज को नियंत्रित करना इतना कठिन नहीं है। इसे आमतौर पर डाइट और व्यायाम से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए और छोटे-छोटे भोजन लेना चाहिए। शुगर, शहद, जैम, फलों का जूस, सॉफ्ट ड्रिंक्स, केक, पेस्ट्री, चॉकलेट बिस्किट, आइसक्रीम से भी दूर रहना चाहिए।"
डॉ. पाठक ने सुझाव दिया कि अगर संभव हो तो भोजन के बाद हल्का चलना चाहिए।
उन्होंने कहा, "आमतौर पर डाइट और व्यायाम से डायबिटीज नियंत्रित हो जाती है, लेकिन अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार इंसुलिन लिया जा सकता है।"