क्या गया के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में छठ महापर्व की धूम देखने को मिल रही है?

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क्या गया के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में छठ महापर्व की धूम देखने को मिल रही है?

सारांश

गया में छठ महापर्व का उत्सव जारी है, जहाँ महिलाएँ श्रद्धा और उत्साह के साथ अर्घ्य देती हैं। यह पर्व उनके परिवार की खुशहाली के लिए महत्वपूर्ण है। जानिए इस खास पर्व की तैयारी और रस्मों के बारे में।

Key Takeaways

  • छठ महापर्व का महत्व परिवार की सुख-समृद्धि में है।
  • महिलाएं इस पर्व की तैयारी में विशेष ध्यान देती हैं।
  • पर्व के दौरान स्थानीय समुदाय में उत्साह और एकता का अनुभव होता है।
  • ठेकुआ जैसे प्रसाद का विशेष महत्व है।
  • छठ महापर्व नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी विश्वास और आस्था को मजबूत करता है।

गया, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के गया जिले के नक्सल प्रभावित इमामगंज विधानसभा क्षेत्र के मैंगरा गांव में छठ महापर्व की धूम देखने को मिल रही है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का सोमवार को तीसरा दिन है, जब छठव्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान गांव में उत्साह और श्रद्धा का माहौल है, भले ही यह क्षेत्र नक्सल गतिविधियों के लिए जाना जाता हो।

छठव्रती महिलाएं सुबह से ही ठेकुआ जैसे प्रसाद तैयार करने में जुटी हैं। प्रसाद बनाने में शुद्धता और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। छठव्रती शांति सिंह ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया, "हम ठेकुआ बना रहे हैं, जिसमें गेहूं का आटा, घी, मीठा और मसाले मिलाए जाते हैं। यह त्योहार हमारे लिए परिवार की सुख-समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।"

उन्होंने कहा कि वे पिछले 30-35 साल से यह पर्व मना रहे हैं और इसकी तैयारी के लिए नया चूल्हा बनाया जाता है। त्योहार की शुरुआत के साथ ही उनके घर में खुशी का माहौल बन जाता है।

उन्होंने कहा कि पहले दिन 'नहाय-खाय' के साथ पर्व शुरू होता है, जिसमें महिलाएं साफ-सफाई के बाद खास भोजन तैयार करती हैं। दूसरे दिन 'खरना' में सूर्य भगवान को जल चढ़ाया जाता है और दो तरह की खीर मीठी और दूध वाली बनाई जाती है।

इसके बाद छठव्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं। तीसरे दिन शाम को घाट पर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जहां वे अपनी मनोकामनाएं मांगती हैं।

वहीं, पहली बार व्रत करने वाली सोनाली सिंह ने कहा, "यह मेरा पहला छठ व्रत है। हम तीन दिन तक उपवास रखते हैं। पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन शाम को अर्घ्य देते हैं। हमने छठी मैया से प्रार्थना की है कि अगर कोई भूल हो जाए, तो उसे माफ कर दें।"

सोनाली ने बताया कि इस पर्व से उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। घाट पर दोरा लेकर जाने की परंपरा के साथ वे सूर्य को अर्घ्य देकर आस्था और विश्वास को मजबूत करते हैं।

Point of View

यह पर्व गाँव में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह दर्शाता है कि भक्ति और आस्था किसी भी चुनौती को पार कर सकती है।
NationPress
27/10/2025

Frequently Asked Questions

छठ महापर्व कब मनाया जाता है?
छठ महापर्व हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।
इस पर्व का महत्व क्या है?
यह पर्व सूर्य भगवान की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है, जो परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करता है।
ठेकुआ क्या होता है?
ठेकुआ एक पारंपरिक प्रसाद है, जिसे गेहूं के आटे और अन्य सामग्रियों से बनाया जाता है।
छठ महापर्व में कौन-कौन सी रस्में होती हैं?
इसमें नहाय-खाय, खरना और सूर्य को अर्घ्य देना शामिल हैं।
क्या कोई विशेष पूजा विधि होती है?
हां, इस पर्व में शुद्धता और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।