क्या है गयाजी का शक्ति पीठ, जहां शिला छूने से मिलता है ब्रह्मलोक का आशीर्वाद?

सारांश
Key Takeaways
- गयाजी का मां मंगला गौरी मंदिर नवरात्रि के दौरान भक्तों का प्रमुख केंद्र है।
- यह भस्मकुट पर्वत पर स्थित है और १५वीं शताब्दी का शक्तिपीठ है।
- यहां एक अद्भुत शिला है, जिसे छूने से भक्तों को ब्रह्मलोक का आशीर्वाद मिलता है।
- मंदिर परिसर में अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी मौजूद हैं।
- यहां पूजा-अर्चना से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि मिलती है।
गयाजी, २२ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नवरात्रि के पावन अवसर पर सोमवार की सुबह बिहार के गयाजी में मौजूद भस्मकुट पर्वत पर प्रतिष्ठित मां मंगला गौरी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। 'जय मंगला माई' के गूंजते जयकारों से पूरा परिसर भक्ति के रंग में रंग गया। सुबह से ही हजारों श्रद्धालु लंबी कतारों में खड़े होकर माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे थे।
गयाजी का मां मंगला गौरी मंदिर १५वीं शताब्दी का एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जिसका उल्लेख पद्म पुराण, वायु पुराण, अग्नि पुराण, देवी भागवत और मार्कण्डेय पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। मान्यताओं के अनुसार, इसी भस्मकुट पर्वत पर मां सती का स्तन गिरा था, जिस कारण इसे पालनपीठ या पालनहार पीठ भी कहा जाता है। यह मंदिर देवी सती और शक्ति की उपासना का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है। यह मंदिर भस्मकुट पर्वत की चोटी पर पूर्वमुखी दिशा में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए भक्तों को ११५ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर के गर्भगृह में हमेशा अंधेरा रहता है, लेकिन यहां वर्षों से एक दीपक निरंतर जलता रहता है, जो कभी नहीं बुझता।
मंदिर परिसर में मां काली, भगवान गणेश, हनुमान जी और भगवान शिव के अन्य मंदिर भी मौजूद हैं।
देवी मंगला गौरी को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी के रूप में पूजा जाता है। नवरात्रि के आठवें दिन विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। मंदिर परिसर में एक अद्भुत शिला भी है, जिसे छूने से भक्तों को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। यह कहा जाता है कि मां सती का स्तन गिरकर यही शिला बनी और यहीं मां मंगला गौरी का नित्य निवास है।
नवरात्रि के दौरान हर साल यहां भक्तों की भारी भीड़ आती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
यह मंदिर गया शहर से लगभग ४ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और गया रेलवे स्टेशन से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।