क्या भाजपा बिहार में इतिहास रचने के करीब है? 45 साल में सबसे बड़ी जीत की ओर अग्रसर; एनडीए 200 के पार

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क्या भाजपा बिहार में इतिहास रचने के करीब है? 45 साल में सबसे बड़ी जीत की ओर अग्रसर; एनडीए 200 के पार

सारांश

बिहार में भाजपा की ऐतिहासिक जीत की ओर अग्रसरता के संकेत मिल रहे हैं। एनडीए 200 सीटों पर आगे है। क्या यह भाजपा के लिए एक नया अध्याय है? जानिए इसके पीछे का सच और बिहार की राजनीति में इसका क्या असर होगा।

Key Takeaways

  • भाजपा ने 45 वर्षों में सबसे बड़ी जीत की ओर अग्रसरता दिखाई है।
  • एनडीए लगभग 200 सीटों पर आगे है।
  • राजनीतिक समीकरणों में बदलाव का संकेत मिल रहा है।
  • भाजपा ने अपनी खोई हुई ज़मीन वापस प्राप्त की है।
  • भाजपा की यह जीत एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत कर सकती है।

नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक प्रमुख पार्टी के रूप में उभरती दिखाई दे रही है। चुनाव आयोग के प्रारंभिक रुझानों से संकेत मिलता है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) लगभग 200 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जो बहुमत के आंकड़े 122 से काफी अधिक है।

भाजपा अकेले 93 निर्वाचन क्षेत्रों में आगे चल रही है, जो पिछले 45 वर्षों में बिहार में पार्टी के लिए एक ऐतिहासिक जीत का संकेत है। ये आंकड़े बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करते हैं।

2010 के विधानसभा चुनाव में एनडीए - जो उस समय जेडीयू-भाजपा की मजबूत साझेदारी से संचालित था - ने 243 में से 206 सीटों पर विजय प्राप्त की थी, जिसमें जेडी(यू) ने 115 और भाजपा ने 91 सीटें जीती थीं।

2015 में तस्वीर बदल गई, जब नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के नेतृत्व में महागठबंधन का गठन हुआ, जिसके चलते भाजपा केवल 53 सीटों पर सिमट गई।

2020 में, एनडीए ने 125 सीटों के साथ बहुमत से थोड़ा सा ऊपर निकलने में सफलता पाई, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं। इस चुनाव में राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, इसके बाद भाजपा 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही। जद (यू) 43 सीटों तक ही सीमित रह गई।

हालांकि, 2025 के रुझान उस पैटर्न के नाटकीय बदलाव का संकेत देते हैं। भाजपा ने न केवल अपनी खोई हुई ज़मीन वापस प्राप्त की है, बल्कि परिदृश्य पर हावी होने के लिए तैयार भी नजर आ रही है। राजद और यहां तक कि अपने लंबे समय के सहयोगी, जद (यू) को भी बड़े अंतर से पीछे छोड़ दिया है।

यह ध्यान देने योग्य है कि भाजपा ने 2005 में 37 सीटें, 2000 में 67 सीटें, 1995 में 41 सीटें, 1990 में 39 सीटें, 1985 में 16 सीटें और 1980 में 21 सीटें जीती थीं।

यदि यह बढ़त कायम रहती है, तो शुक्रवार के परिणाम बिहार के चुनावी इतिहास में भाजपा के अब तक के सबसे निर्णायक प्रदर्शन को दर्शा सकते हैं, जो एनडीए के भीतर समीकरणों को नया आकार देगा और राज्य में एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत करेगा।

Point of View

बल्कि बिहार की राजनीति के लिए भी एक नया मोड़ हो सकता है। क्या यह परिवर्तन स्थायी होगा? समय ही बताएगा, लेकिन वर्तमान में भाजपा ने अपनी खोई हुई ज़मीन को वापस पाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं।
NationPress
14/11/2025

Frequently Asked Questions

भाजपा ने बिहार में कितनी सीटें जीती हैं?
चुनाव आयोग के रुझानों के अनुसार, भाजपा ने लगभग 93 सीटों पर बढ़त बनाई है।
एनडीए का वर्तमान स्थिति क्या है?
एनडीए लगभग 200 सीटों पर आगे चल रहा है, जो बहुमत के आंकड़े 122 से काफी अधिक है।
भाजपा की 2015 में स्थिति क्या थी?
2015 में भाजपा केवल 53 सीटों पर सिमट गई थी, जब महागठबंधन का गठन हुआ था।
क्या 2025 के चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर होगा?
2025 के रुझान भाजपा के लिए सकारात्मक संकेत देते हैं, जो उन्हें अपनी खोई हुई ज़मीन वापस पाने में मदद कर सकते हैं।
भाजपा का बिहार में राजनीतिक प्रभाव क्या है?
भाजपा का राजनीतिक प्रभाव बिहार में बढ़ता जा रहा है, जिससे एक नया राजनीतिक बदलाव संभव है।