क्या कर्नाटक में छोटी दुकानों पर शराब बिक्री को लेकर राजनीति गरमाई?

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क्या कर्नाटक में छोटी दुकानों पर शराब बिक्री को लेकर राजनीति गरमाई?

सारांश

कर्नाटक में छोटी राशन दुकानों और किराना स्टोर्स में शराब की बिक्री को लेकर चल रही बहस ने राजनीतिक गर्मागर्मी बढ़ा दी है। भाजपा और जेडीएस ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे सियासी परिदृश्य में उथल-पुथल मची है। जानें इस मुद्दे की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • कर्नाटक में शराब बिक्री का मुद्दा राजनीतिक विवाद का कारण बना है।
  • भाजपा और जेडीएस ने सिद्दारमैया सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
  • सरकार ने कहा कि वह स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रयासरत है।

बेलगावी, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक की छोटी राशन दुकानों और किराना स्टोर्स में शराब की बिक्री को लेकर विधानसभा में गंभीर बहस हुई। विपक्षी दल भाजपा और जेडीएस ने सिद्दारमैया सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर यही स्थिति है, तो सरकार को शराब की होम डिलीवरी भी शुरू कर देनी चाहिए।

प्रश्नकाल के दौरान जेडीएस के विधानसभा फ्लोर लीडर सी. बी. सुरेश बाबू ने मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार एक ओर गृह लक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2,000 रुपये देती है और दूसरी ओर वही पैसा परिवार के पुरुष शराब पर खर्च कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “गांवों में युवा और बच्चे शराब के आदी हो रहे हैं। इससे परिवार बर्बाद हो रहे हैं। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।”

भाजपा के वरिष्ठ विधायक एस. सुरेश कुमार ने कहा कि सरकार ने लिखित उत्तर में स्वीकार किया है कि मामला उनके ध्यान में है। उनका व्यंग्यात्मक तंज था, “छोटी दुकानों में शराब मिल रही है। क्यों न सरकार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शराब बेचकर घर-घर डिलीवरी शुरू कर दे?”

इस पर जवाब देते हुए उत्पाद एवं आबकारी मंत्री आर. बी. तिम्मापुर ने कहा कि सरकार लगातार छापेमारी कर रही है और स्थिति को नियंत्रित किया जा रहा है। बहुत कम मामले दर्ज हुए हैं और उन पर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन सुरेश बाबू ने इस दावे को नकारते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने आबकारी विभाग के लिए तहसील-वार सेल्स टारगेट तय किए हैं, जिसकी वजह से छोटी दुकानों में शराब बेची जा रही है, और यहां तक कि कक्षा 10 के छात्र भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।

मंत्री तिम्मापुर ने फिर कहा कि कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है। शराब की बिक्री मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है।

भाजपा विधायक वी सुनील कुमार ने आरोप लगाया कि सरकार ने 43,000 करोड़ रुपये का शराब बिक्री लक्ष्य निर्धारित किया है, जिससे विभाग पर अधिक बिक्री का दबाव है। वहीं, मंत्री तिम्मापुर ने इसे गलत बताते हुए कहा कि उनके पास सिर्फ अनुमानित बिक्री आंकड़े हैं।

बहस के दौरान उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा कि ऑनलाइन लगभग सब चीजें मिल जाती हैं। शराब भी मिल रही होगी, भले ही अधिकृत रूप से न सही। यह सिस्टम में होता है। उन्होंने कहा कि कोस्टल कर्नाटक में बार लाइसेंस रद्द होने के बाद भी समुद्र तटों पर शराब बेची जा रही है, इसलिए इसे नियमित करने पर चर्चा जरूरी है।

भाजपा विधायक सुरेश कुमार ने आरोप लगाया कि ड्रग्स की सप्लाई स्विगी, जोमैटो जैसे गिग वर्कर्स के जरिए की जा रही है।

इस पर गृहमंत्री जी. परमेश्वर ने जवाब दिया, “यह बहुत गंभीर आरोप है। यदि आपके पास जानकारी है तो सरकार को दें। मुख्यमंत्री ने कर्नाटक को ड्रग-फ्री राज्य बनाने का संकल्प लिया है और हजारों करोड़ के नशीले पदार्थ की जब्ती की गई है।”

Point of View

बल्कि यह राजनीतिक दलों के बीच की नोकझोंक को भी दर्शाता है। सरकार पर आरोपों के बावजूद, इसे नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

कर्नाटक में शराब बिक्री को लेकर क्या विवाद है?
कर्नाटक में शराब की बिक्री छोटे राशन दुकानों और किराना स्टोर्स में हो रही है, जिससे राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है। विपक्षी दल भाजपा और जेडीएस ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
सरकार ने इस मामले में क्या प्रतिक्रिया दी है?
सरकार ने कहा है कि वह स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लगातार छापेमारी कर रही है और शराब की बिक्री मांग और आपूर्ति पर निर्भर है।
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